वर्णविभाग!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्णविभाग – Varnavibhaaga.: Four classes into which Indo-Aryan society was early divided. वर्णव्यवस्था या वर्णभेद;क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, ब्राह्मण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्णविभाग – Varnavibhaaga.: Four classes into which Indo-Aryan society was early divided. वर्णव्यवस्था या वर्णभेद;क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, ब्राह्मण “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विष – Visha. Poison, intense fruition of inauspicious Karmas is also called as poison. जहर, अशुभ कर्म के तीव्र उदय रूप फल को भी विष की संज्ञा प्रदान की गई है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मनंदि सैद्धातिक : An Acharya of Nandisamgh Deshiyagan Golacharya Branch. न्ंदिसंघ देशीवगण गोलाचार्य शाखा के एक आचार्य (ई0 श0 993.1043) का नाम ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्याभूषण भट्टारक – Vidyabhusana Bhattaraka. Name of a Bhattarak of Nandi group. नंदिसंघ बलात्कारगण नागौर गद्दी के एक भट्टारका त्रिचतुर्विशति विद्यान के कर्ता “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिथ्या शल्य–Mithya Shalya. False concept of religious devotion. ‘अपना निरंजन दोष रहित परमात्मा ही उपादेय है’ ऐसी रूचिरूप सम्यक्त्व से विलक्षण मिथ्याशल्य कहलाती है ” अर्थात् मिथ्यात्व में रूचि रखते हुए व्रतों का पालन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच अग्नि – Pancha Agni. Five kinds of fire, Five fold conducts observed by jain Acharyas. पांच प्रकार की अग्नि ” जैसे जैन धर्मके अनुसार पंचाचार को पंचाग्नितप भी कहते है ” जिनका पालन प्रमुखता से आचार्यगण करते है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदार्थ: Substance, Matter. जिन पदों से अर्थ का बोध हो अर्थात वह जो द्रव्यमय, गुणमय व प्र्यायमय हो, 7 तत्वों में पुण्य-पाप मिलाने से पदार्थ 9 होते है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] य–Ya. The twenty sixth consonant of the Davanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का छब्बीसवाँ व्यंजन अक्षर इसका उच्चारण स्थान तालु है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्ररूचि – Sutra Ruchi. Right perception generated through the scripture listening. सूत्रसम्यग्दर्शन, मुनि के चारित्रानुष्ठान को सूचित करने वाले आचार सूत्र को सुनकर जो तत्वार्थश्रद्धान होता है, उसे सूत्र रूचि सम्यग्दर्शन कहा जाता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकाश्य – Prakashya. Liable to be revealed. प्रगट करने योग्य “