दैव!
दैव Accumulation of results of good and bad deeds of past life. भाग्य- प्राणी ने पूर्व भव में जिस पाप या पुण्य कर्म का संचय किया है वह दैव कहा जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दैव Accumulation of results of good and bad deeds of past life. भाग्य- प्राणी ने पूर्व भव में जिस पाप या पुण्य कर्म का संचय किया है वह दैव कहा जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिबिम्ब – Pratibimba. Image, Idol of Lord. परछाई, भगवान की प्रतिमा-मूर्ती “
उत्सर्गपद्धति A supreme dedicational system (of omniscient etc.) for getting salvation.मोक्षमार्ग की वह पद्धति जिसमें वज्रवृषभनाराच प्रथम संहनन से ही ध्यान अथवा मोक्ष होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिपत्ति – Pratipatti. A type of scriptual knowledge (Shrutgyan), confirmed knowledge (inference). अर्थलिंगज श्रुतज्ञान का एक भेद, धारणा “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्मान : == तम्हा सव्वे वि णया, मिच्छादिट्ठी सपक्ख—पडिबद्धा। अण्णोण्णणिस्सिया उण, हवंति सम्मत्तसब्भावा।। ——सन्मति तर्क प्रकरण : १-२१ अपने—अपने पक्ष में ही प्रतिबद्ध परस्पर निरपेक्ष सभी नय (मत) मिथ्या हैं, असम्यक् हैं, परन्तु ये ही नय जब परस्पर सापेक्ष होते हैं तब सत्य एवं सम्यक् बन जाते हैं।…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिक्षण परिमाण – Pratikshana Parimaana. Momentary modification. द्रव्यों में प्रतिसमय परिणमन होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्पवृष्टि – Puspavrsti. Showering of flowers. फूलों की बरसात होना; ८ प्रातिहार्यों में एक प्रातिहार्य एवं पांच आश्चर्यों (पंचाश्चर्य वृष्टि) में एक आश्चर्य “
ततवार्थवृत्ति Name of a commentary book written on ‘Tattvarthsutra’. तत्वार्थसूत्र टीका विषयक एक ग्रंथ, आचार्य श्री श्रुतसागर सूरि द्वारा लिखित । [[श्रेणी:शब्दकोष]]