दोष!
दोष Faults. त्रुटि , कमी, रागद्वेष आदि 18 दोष; अरिहंट परमात्मा इनसे रहित होते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दोष Faults. त्रुटि , कमी, रागद्वेष आदि 18 दोष; अरिहंट परमात्मा इनसे रहित होते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चित्तरक्ष Father’s name of Lord Dharmanath (of past birth). धर्मनाथ भगवान के पूर्व भव के पिता का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यग्मिथ्याचारित्र – Samyagmithyaacaaritra. Right-cum-wrong conduct. चारित्र मोह की एक प्रकृति जिसके उदस से यथार्थ व मिथ्या दोनो प्रकार का मिश्रित आचरण है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्पुरुष : == दट्ठूण अण्णदोसं, सप्पुरिसो लज्जिओ सयं होइ। —भगवती आराधना : ३७२ सत्पुरुष दूसरे के दोष देखकर स्वयं में लज्जा का अनुभव करता है। (वह कभी उन्हें अपने मुंह से नहीं कह पाता)।
चैत्यभक्ति Act of adoration, Name of a composition (prayer). सिद्ध-अर्हन्त प्रतिमाओं के प्रति श्रद्धां एवं गुणानुराग , पूज्यपाद एवं कुन्दकुन्द आचार्य कृत प्राकृत की १० भक्तियों में से एक भक्ति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष परिणाम विधान -Sparssana Parinaama Vidhaana. A type of Anuyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्ष अंतर विधान।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख्य गौण व्यवस्था–Mukhya Gauna Vyavastha. Something intended and non–intended. स्याद्वाद शैलीअथवा प्रक्रिया; दो धर्म में जो प्रधान होता है वेह मुख्य कहलाता है और जो अप्रधान होता है वेह गौण कहलाता है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष अंतर विधान – Sparssa Amtara Vidhaana. A type of anuyogdwar (disquisition door).अनुयोगद्वार के 8 भेदो मे ‘स्पर्शन’ अनुयोगद्वार के 16 उपभेदो मे एक भेदं।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूति – Bhuti. Name of the 24th chief disciple of Lord Rishabhadev. भगवान वृषभदेव के ८४ गणधरों में २४ वें गणधर का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृत्तयंश –Vrttyainsa Momentariness of any matter. पर्याय; पर्यायों का क्षणिकत्व होना या द्रव्य में जो अंश कल्पना की जाती हैं वह पर्याय हैं “