त्रिकच्छेद!
त्रिकच्छेद Method of dividing a number by three, many times. एक ही संख्या में कई बार तीन से भाग जाता हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिकच्छेद Method of dividing a number by three, many times. एक ही संख्या में कई बार तीन से भाग जाता हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेदना समुदघात –VedanaSamudghata Extrication of soul – points due to intense pain. रोग आदि की तीर्व वेदना से आत्मा के प्रदेशो का शरीर से बाहर निकलना वेदना समुदघात हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हय राय – Haya Raaya. Destroyed passion, a high breed horse (both are called as auspicious symbols). हय राय शब्द का अर्थ हत राग भी है और उत्तम धोड़ा भी है, इन दोनो को रागद्वेष रहित सरल चित्त होने से लौकिक मंगल कहा गया है।
त्रिगुप्ति A vow (fasting) of 30 days with particular method. मन,वचन, काय की प्रवृत्ति को रोककर वश में रखना, यह संवर का एक कारण है। अनंतनाथ भगवान के पूर्व भव के पिता का नाम । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोदुष्ट- Manodusta. An infraction of the meditative relaxation; unstability of mind. कायोत्सर्ग का एक अतिचार ; मन को चलायमान करना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हंसद्वीप – Hammsadviipa. Name of an island. एक द्वीप। यह लंका द्वीप के समीप था। राक्षवंशी अमररक्ष द्वारा बसाये गये 10 द्वीपो मे 5 वां द्वीप।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परद्रव्य ग्राहक नय: A type of standpoint related to the non existent nature of matters in view of Parchatushtaya.ऐसा नय जिसकी अपेक्षा से परचतुष्टय की अपेक्षा द्रव्य का नास्तित्व स्वभाव है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमान – Vimana. Heavenly space vehicle or palaces of deities, A mark (viman) seen by Lord’s mother in the 13th dream out of 16. देवों के प्रासाद, इनके ३ भेद है – इंद्रक, श्रेणीबध्द, प्रकीर्णक विमान ” आकाशगामी वाहन-इनका उपयोग देव और विधाधर करते है ” तीर्थकर के गर्भावतरण के समय द्वारा…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वार्थ प्रमाण – Svaartha Pramaana. Authority (Praman) of self knowledge. प्रमाण के दो भेदो मे एक भेद, ज्ञानात्मक प्रमाण को स्वार्थ प्रमाण कहते हैै। श्रुतज्ञान को छोड़कर शेष 4 ंस्वार्थ प्रमाण है परन्तु श्रुतज्ञान स्वार्थ और परार्थ दोनो प्रकार का हैं। वचनात्मक प्रमाण परार्थ प्रमाण कहलाता है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलाचार प्रदीप–Mulachar Pradeep. Name of a book written by Acharya Sakalkirti. आचार्यसकलकीर्ति (ई. 1424) कृत मुनियों के चारित्र सम्भंदी एक ग्रंथ”