सयोगकेवली!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सयोगकेवली – Sayogakevalee. An omniscient possessing physical presence. सशरीरी परमात्मा। 13 वें गुणस्थान मे अरहंत परमात्मा जो अनंत चतुष्टय सहित परमौदारिक देह सहित है, जिनका उपदेष व विहार होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सयोगकेवली – Sayogakevalee. An omniscient possessing physical presence. सशरीरी परमात्मा। 13 वें गुणस्थान मे अरहंत परमात्मा जो अनंत चतुष्टय सहित परमौदारिक देह सहित है, जिनका उपदेष व विहार होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमलप्रभ – Vimalaprabha. Name of the 4th Jaina-Lord of the past era and name of a protecting peripatetic deity of kshirvar ocean. भूतकालीन चौथे तीर्थकर, क्षीरवरसमुद्र का एक रक्षक व्यंतर देव “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोत्पन्नसुख – Manotpanna Sukha. Mental pleasure or bliss. मनकेद्वाराउत्पन्नसुख , जैसेहवाआदिकास्पर्शहोना “
चामत्कारिक Astonishing, Amazing, Surprising. आश्र्चर्य या अतिशयकारी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पृष्ठता – Spastataa. Clearness, Unambiguity, Obviousness.निर्मलता, विशदता, स्पष्टता एकार्थवाची है।
चंदानुशासन Name of a book (reg. prosody). छंद शिक्षा विषयक एक ग्रन्थ का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षन क्रिया – Sparssana Kriyaa. Touching activity, tangibility.समप्रायिक आस्रव की 25 क्रियाओ मे कर्मबंध की कारणभूत एक क्रिया। अत्यधिक प्रमादी होकर स्पर्श योग्य पदार्थ का बार बार चिंतन करना अथवा प्रमाद से आलिंगन करने की भावना स्पर्शन क्रिया है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग सम्यग्दर्शन –VitaragaSamyagdarsana. Right faith without any attachment. निश्चय सम्यग्दर्शन, वीतराग चारित्र के साथ अविनाभावी, जिस सम्यकत्व भाव में आत्मा की विशुध्दी, तन्मयता हो ” यह सातवें से दसवें गुणस्थान तक होता है “