पंकप्रभा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंकप्रभा – Pankaprabhaa. That (4th) earth which has the colour of clay or mud. चतुर्थ नरक भूमि; जिसकी प्रभा कीचड़ के समान है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंकप्रभा – Pankaprabhaa. That (4th) earth which has the colour of clay or mud. चतुर्थ नरक भूमि; जिसकी प्रभा कीचड़ के समान है “
उपवन भूमि The 4th land of Samavasharana (garden like) . समवशरण की चैाथी भूमि जहाँ चारों दिशाओं में अशोक सप्तच्छद चंपक और आम्र के वृक्षों के वन होते हैं जिनमें से प्रत्येक के मध्य में चैत्य वृक्ष पर भगवान की प्रतिमा विराजमान रहती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाजनांग जातीय कल्पवृक्ष – Bhajanamga Jatiya Kalpavrksa. A type of wish fulfilling trees (providing uten-sils). भोगभूमि में पाये जाने वाले १० कल्पवृक्षों में एक, यह कल्पवृक्ष सुवर्ण एंव बहुत से रत्नों से निमित धवल झारी, कलश, गागर आदि बर्तन प्रदान करने वाला होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिहितास्त्रव – Pihitasrava. Name of the father of Tirthankar (Jaina- Lord) Padmaprabh- Suparshvanath in past birth, Name of a Digambar Acharya. तीर्थंकर पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ के पूर्व भाव के पिता, एक दिगाम्बराचार्य “
उपबृंहक See – Upagýhana . आत्मगुणों को बढ़ाने वाला देखें-उपगूहन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मसाम्पराय संयम – Sukshmasaamparaaya Sanyama. Restraints with minute greediness. मोहकर्म का उपशमन या क्षपण करते हुए सूक्ष्म लोभ का वेदन करना सूक्ष्मसांपराय संयम हैं और धारक महामुनि सूक्ष्मसांपराय संयत कहलाते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पित्त – Pitta. Bile (a bitter fluid secreted by the liver). औदारिक शारीर में यकृत द्वारा स्त्रावित पित्त नामक धातु “
उपलब्धि Perception, Acquision, Achievement . वस्तु तŸव का उपलठध किया जाना या ग्रहण किया जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म कृष्टि – Suksma Krishti. Gradual destruction of Karmas. कर्मो के अनुभाग को घटाकर सूक्ष्म कर देना ।