आलोचना शुद्धि!
आलोचना शुद्धि Modification by criticism. आलोचना करके अपने दोष को मिटाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आलोचना शुद्धि Modification by criticism. आलोचना करके अपने दोष को मिटाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाण्डित्य:Intellectual talent, erudition.विद्वत्ता- संसार का उद्वार करने वाला ज्ञान।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाखंडी :Dissembling, Hypocritical.संसार चक्र मे भ्रमण करने वाले झूठे साधु या तपस्वी।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पांशुमूलिक:A type of a caste related to vidyadhara.एक विद्याधर वंशीय जाति का नाम।
दर्शन (उपयोग) Functional consciousness of conation vision attention. उपयोग का एक भेद , यह पदार्थ को सामान्य, अनाकार (निर्विकल्प) रूप से ग्रहण करता है, इसके चार भेद हैं (चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]] उपयोग का एक भेद; यह पदार्थ को सामान्य, अनाकार (निर्विकल्प) रूप से ग्रहण करता है, इसके ४ भेद हैं (चक्षु,…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृंदावना –Vrindavana Name of the poet, the writer of ‘Vrindavan Vilas’ etc. many books. तीस चौबीसी पूजन, वृन्दावन, विलास, प्रवचनसार टिका अर्ह्त्पसकेवली आदि ग्रंथो के रचीयता एक कवि ” समय – ई. १८०३ – १८४८ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परस्थान गोपुच्छा :Particular decreasing sequence of Krishti.निचली विवक्षित संग्रह कृष्टि की अन्त कृष्टि के ऊपर की अन्य संग्रहकृष्टि का विषेष घटता क्रम ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग सुख –VitaragaSukha. Supreme bliss. अनंत सुख ” शुधात्मा के दर्शन से प्राप्त जिनेश्वरों का सुख “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशालकीर्ति – Vishalakirti. Name of a Bhattarak of Nandi.Group, A disciple of pandit Ashadhar. नंदिसंघ बलात्कारगण नागौर गद्दी के एक भट्टरक, समय – वि. स. १६०१, पं. आशाधरजी के प्रधान शिष्य में एक शिष्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पर सामान्य:A type of universal entities. सामान्य का एक भेद, इसे सत्ता, भाव और महासामान्य भी कहते है।