सम्यग्दर्षन वाक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यग्दर्षन वाक – Samyagdarshana Vaak. Right spiritual speech. वचन के 12 भेदो मे एक भेदः सम्यक् मार्गप्रवर्तक उपदेष सम्यग्दर्शनवाक् है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यग्दर्षन वाक – Samyagdarshana Vaak. Right spiritual speech. वचन के 12 भेदो मे एक भेदः सम्यक् मार्गप्रवर्तक उपदेष सम्यग्दर्शनवाक् है।
चैतन्यानुविधायी Result related with only consciousness. उपयोग; चैतन्य अन्वयी अर्थात् चैतन्य को छोड़कर अन्यत्र नहीं रहता वह परिणाम । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थपति – Sthapati. Architect, one of the 14 jewels of chakrawarti (emperor).भवन निर्माण कला मे निपुण वास्तुकार, चक्रवर्ताीे के 14 रत्नो मे एक रत्न। जो वास्तुविद्या का पारगामी होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विश्वसेन – Vishvasena. Father’s Name of Lord parshvanath & Lord Shantinath. भगवान पाशर्वनाथ एवं शांतिनाथ के पिता का नाम ” पाशर्वनाथ भगवान के पिता का नाम अश्वसेन भी है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समुद्रविजय – Samudravijaya. Father’s name of the 22nd Tirthankar (Jaina Lord) Neminath. 22 वें तीर्थकर नेमिनाथ के पिता। शैरीपुर के राजा अन्धकवृष्णि और सुभद्रा के 10 पुत्रों मे प्रथम पुत्र।
दश विकार Ten types of lustful sensual desires of human being. काम के वेग चिंता, स्त्री को देखने की इच्छा , दीर्घनिःश्वास, ज्वर, शरीर का दग्ध होना, भोजन न रूचना , मूर्छा की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
छत्रत्रय Triple parasol, an auspicious emblem of Lord Arihant. भगवान के आठ प्रातिहार्यों में से एक . ये तीनों लोकों के स्वामित्व को सूचित करते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समुत्पत्ति – Samutpatti. Birth, origin, creation. मूल, पैदावार।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संवर : == सर्वभूतात्मभूतस्य, सम्यक् भूतानि पश्यत:। पिहितास्रवस्य दान्तस्य, पापं कर्म न बध्यते।। —समणसुत्त : ६०७ जो समस्त प्राणियों को आत्मवत् देखता है और जिसने कर्मास्रव के सारे द्वार बंद कर दिए हैं उस संयमी को पापकर्म का बंध नहीं होता। तपसा चैव न मोक्ष:, संवरहीनस्य भवति जिनवचने।…
चक्रवान् A city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]