द्वीपसागर सिद्ध!
द्वीपसागर सिद्ध The soul who gets salvation from some island, ocean. द्वीप-सागर से मुक्त होने वाले जीव।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्वीपसागर सिद्ध The soul who gets salvation from some island, ocean. द्वीप-सागर से मुक्त होने वाले जीव।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परस्परोपग्रह:Mutual help, rendering help to one another.जीव द्रव्य का उपकार, आपस में एक दूसरे की सहायता करना । जैसे-गुरू ज्ञान आदि देकर शिष्य का उपकार करते है। तथा शिष्य गुरू की सेवा, आज्ञापालन आदि करके गुरू का उपकार करता है।
उत्तरगुण Secondary virtues of saints. मूलगुणों के अतिरिक्त पाले जाने वाले गुण उततरगुण कहलाते हैं। जैसे-मुनियों के 84 लाख गुण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिपंचाशत् भाव Fifty three types of subsidential disposition. जीवों के औपशमकादिभाव जो 53 प्रकार के हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उदयभावी क्षय Destruction of karmas without their fruition. बिना फल दिये आत्मा से कर्मों का संबंध छूट जान।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर पर्याप्ति – Sharera Paryaaypti. Formation of assential elements of body. पर्याप्ति के छः भेदों में दूसरा भेद, जिन परमाणुओं को खल्रूप परिणमाया था उनको हाड, रस,रुधिर आदि रूप परिणमावने की कारण भूत जीव की शक्ति की पूर्णता को शरीर पर्याप्ति कहते हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलसंघ–Mulasangh. An ancient group of Digambar Jain saints (associated after the salvation of Lord Mahavira). दिगम्बर जैनसाधुओका प्राचीन संघ; जिनके आचार्यो की पट्टावली में प्रथम श्री कुन्दकुन्द आचार्य का नाम लिया जाता है”
आपवादिक लिंग White clothed Digambar Jain ascetics etc. परिग्रह सहित भेष या चिन्ह, आर्यिका (उपचार महाव्रती) ऐकल क्षुल्लक आदि जैनधर्म में दो मार्गं हैं- उत्सर्ग मार्ग और अपवाद मार्ग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र भाव–Mishra Bhav. A kind of reflection related to both destruction & subsidence of Karmas. क्षायोपशामिक भाव, जिसमे कर्मो का क्षय और उपशम दोनों होते है”
द्विचूड़ A king of Vidyadhar dynasty. विद्याधर वंश का एक राजा। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]