पदहीन!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदहीन: Omission of words. शब्द या वाक्य त्रुटि ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यक्षोत्तम– Yakshottam. A type of peripatetic deities. यक्ष जातिके व्यंतर देवो का एक भेद”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातिशय केवली – Saatisaya Kevale. A type of omniscient one. तीर्थकर प्रकृति रहित, 25 अतिशयो (केवलज्ञान, 14 देवकृत, 1 वज्रवृषभनाराच संहन), 4 प्रातिहार्य (छत्र, सिंहासन, भामंडल, दिव्यध्वनि), गन्धकुटी व अनन्त चतुष्टष् सहित सातिशय केवली होते है। अर्थात् अतिशय युक्त केवली को सातिशय केवली कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पत्रचार ऋद्वि:A type of supermatural power of unviolennceful passing through leves (related to Jaina saints). दिगम्बर जैन मुनियों को प्राप्त होने वाली एक ऋद्वि जिसके प्रभाव से पत्तों आदि में रहने वाले जीवों की विराध्ना न करके उनके ऊपर से मुनिगण जा सकते है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मैनासुंदरी–Mainasundri. Name of a great pious lady in the Jain history. राजा पहुपाल की पुत्री, जिसे क्रोध के वश पिता ने श्रीपाल कुष्टी के साथ विवाह दी” गंधोदक द्वारा पति का कुष्ट दूर किया आयर अन्त में दीक्षा ली”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सागरोपम – Saagaropama. A transcendental time unit. काल का एक प्रमाण। ढाई उद्वार सागर प्रमाण काल का एक सागरोपम काल होता है। एक उद्वार सागर 10 कोड़ाकोड़ी उद्वार पल्यों का कहा गया है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पट्टन:City, town (48000 cities of Chakravarti are one of his grandeurs) नगर, चक्रवर्ती का 36 वाॅं वैभव – 48000 पत्तन ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथाच्छंद मुनि–Yathachchhand Muni. Unrestrained or self–willed saints. स्वछंद प्रवृत्ति करने वाला साधु; जिन आगम विरुद्ध, इन्द्रिय व कषाय के वशीभूत”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भास्करनंदी – Bhaskaranandi. Name of a saint who wrote ‘Dhyanstava’ and other treatises. मुनि; तत्त्वार्थसूत्र की सुखबोधिनी व्रत्ति तथा ध्यानस्तव के रचयिता ” समय – ई.श. १४ “
ऊहा Synonym word of Iha (reflective speculation, curiosity). ईहा का पर्यायवाची।[[श्रेणी:शब्दकोष]]