विदारण क्रिया!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदारण क्रिया – Vidarana Kriya. Exposing others’ sinful activities. साम्परायिक आस्रव की १८ वीं क्रिया ” दुसरे ने जो सावध कार्य किया हो उसे प्रकाशित करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदारण क्रिया – Vidarana Kriya. Exposing others’ sinful activities. साम्परायिक आस्रव की १८ वीं क्रिया ” दुसरे ने जो सावध कार्य किया हो उसे प्रकाशित करना “
चतुर्विध बंध Four types of Karmic bondage. ४ प्रकार का कर्मबंध ; प्रकृति , प्रदेश , अनुभाग , स्थिति बंध ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समयमूढ़ता – Samayamoorhataa. Inclination towards false beliefs because of magnificence of wrong philosophy. आश्चर्य उत्पन्न करने वाले ज्योतिष, मंत्रवाद आदि को देखकर सर्वज्ञ कथित धर्म को छोड़कर मिथ्या देव-श्षास्त्र और खोटा तप करने वाले कुलिंगियो एवं कुधर्म को भय, वांछा और लोभ से प्रणाम, विनय, पूजा, सत्कार आदि करना समयमूढ़ता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मचर्य प्रतिमा – Brahmacarya.Pratima. Seventh model stage of celibacy of Jaina lay- follower. श्रावक की सातवीं प्रतिमा; इसमें श्रावक स्त्रीमात्र का त्याग होकर पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहता है ” इसका धारक श्रावक अपने पुत्र – पुत्रियों के विवाह के अतिरिक्त अन्य किसी के विवाह की अनुमोदना नहीं करता है “
चामीकर यन्त्र A type of syringe; a water pump. जलक्रीड़ा में काम में आने वाला स्वर्णमाय यन्त्र (पिचकारी) ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्यम पात्र – Madhyam patra. Medium graded spiritual persons who follow rightenous observances. पात्र के तीन भेदों में एक भेद ; आर्यिका , सप्तम प्रतिमाधारी से उत्कृष्ट श्रावक (एलक- क्षुलल्क) मध्यम पात्र कहलाते हैं अथवा सम्यग्द्रष्टि देशवर्ती श्रावक मध्यम पात्र कहलाते हैं ” इसी प्रकार दिगंबर महामुनि उत्तम पात्र होते हैं एवं अविरत्त…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सूक्ष्म कषाय : == कौसुम्भ: यथा राग:, अभ्यन्तरत: च सूक्ष्मरक्त: च। एवं सूक्ष्मसराग:, सूक्ष्मकषाय इति ज्ञातव्य:।। —समणसुत्त : ५५९ कुसुम्भ के हल्के रंग की तरह जिनके अन्तरंग में केवल सूक्ष्म राग शेष रह गया है, उन मुनियों को सूक्ष्म—सराग या सूक्ष्म—कषाय जानना चाहिए।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्य : == अकिंहतस्स वि जह गहवइणो जगविस्सुदो तेजो। —भगवती आराधना : ३६१ अपने तेज का बखान नहीं करते हुए भी सूर्य का तेज स्वत: जगविश्रुत है। सच्चं जसस्स मूलं, सच्चं विस्सासकारणं परमं। सच्चं सग्गद्दारं सच्चं, सिद्धीइ सोपाणं।। —धर्मसंग्रह टीका : २-२६ सत्य यश का मूल कारण है।…
चरम फालि The last resultant mixing of Karmic molecules. कर्मों की स्थिति घटाकर कर्म परमाणुओं को जो अंतसमय नीचे के निषेकों में मिलाया जाता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मधुरा – Madhura. Another name of city Madura. दक्षिण द्रविड़ देश में वर्तमान मदुरा नगर “