वसतिका!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसतिका – Vasatika.: Hermitage, staying place of saints. साधुओं के ठहरने का स्थान ” ध्यान – अध्ययन के योग्य निर्दोष शून्य स्थान ही उसके लिये उपयुक्त है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसतिका – Vasatika.: Hermitage, staying place of saints. साधुओं के ठहरने का स्थान ” ध्यान – अध्ययन के योग्य निर्दोष शून्य स्थान ही उसके लिये उपयुक्त है “
दासत्व Servitude; being in the service of God. सेवकपने की भावना सम्यग्दृष्टि का वात्सल्य गुण सिद्ध प्रतिमा, जिनबिम्ब, जिनमन्दिर, चार प्रकार के संघ में और शास्त्रों में वात्सल्य भाव भी दासत्व कहलाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्षायोग – Varshaayoga.: Four months rainy seasonal staying of Jain saints at some particular place with particular restrictions. चातुर्मास; जैन साधु – साध्वियों का वर्षाकाल (आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी से कार्तिक कृष्णा अमावस तक ) में मुख्यतः जीव विराधना से बचने हेतु एक स्थान पर रहना ” वर्षायोग सम्बन्धी प्रतिष्ठापना व निष्ठापना की विशेष विधि…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यक्षवर(सागर द्वीप)– Yakshvar (Saagar Dvip). Name of a island and ocean of middle universe. मध्यलोक के अंतिम सौलह द्वीपों में तेरेहवा द्वीप व समुंद्र”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्तमान ग्राही नय – Vartmaana Graahii Naya.: A standpoint believing the present mode (Paryay). ऋजुसूत्र नय , जो भूत भावी पर्याय को छोड़कर वर्तमान पर्याय को ही ग्रहण करता है “
गति बन्धाभाव Lack of binding of any Karmic nature related to any Gati for the next birth (i.e. lack of transmi-gration), Motion without constraint. आगे के भव के लिए चारों गतियों के बन्ध का अभाव होना ,गति का एक भेद ; एरण्ड बीज आदि की गति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्म (स्वर्ग) – Brahma (Svarga). Name of the 3rd Patal (layer) of Brahmayugal and the fifth particular place of heaven. ब्रह्रायुगल का तृतीय पटल, कल्पवासी स्वर्गों का पाँचवा कल्प “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == नय : == तह ववहारेण विणा, परमत्थुवएसणमसक्कम्। —समयसार : ८ व्यवहार (नय) के बिना परमार्थ (शुद्ध आत्मतत्त्व) का उपदेश करना अशक्य है। स्वाश्रितो निश्चय:। —अध्यात्म सूत्र : १-८ स्व अर्थात् उस ही एक द्रव्य के आश्रय से जो बोध है, वह निश्चय—नय है। पराश्रितो व्यवहार:। —अध्यात्म सूत्र : १-९…
तेंदु Name of an Indian tree, called initiation – tree of Lord Shreyansnath. श्रेयांसनाथ भगवान के दीखा वृक्ष का नाम (पदमपुराण के अनुसार) महापुराण के अनुसार यह तुम्बुरू वृक्ष है।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्रसम – Sutrasama. Scriptural knowledge possessed by the Gandhardev, the chief disiple of Tirthankar (Jaina-Lord). तीर्थकर के मुख से निकला बीजपद सूत्र कहलाता है और जो उस सूत्र से उत्पन्न होता है वह गणधरदेव में स्थित श्रुतज्ञान ’सुत्रसम’ कहा गया है।