वेदक सम्यक्त्व!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेदक सम्यक्त्व –VedakaSamyaktva Destructive subsidential right belief क्षयोपशम सम्यग्दर्शन ” दर्शन मोहनीय कर्म की सम्यक्त्व प्रकृति के उदय से जो तत्वाथ श्रध्दान होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेदक सम्यक्त्व –VedakaSamyaktva Destructive subsidential right belief क्षयोपशम सम्यग्दर्शन ” दर्शन मोहनीय कर्म की सम्यक्त्व प्रकृति के उदय से जो तत्वाथ श्रध्दान होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचभाव – Panchabhaava. Five kinds of emotions (attitudes caused by different Karmicoperations) related to Jaina philosophy. जीव के पाँच निज तत्व; औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक (मिश्र), औदयिक, पारिरणामिक भाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजमती – जूनागढ के राजा उग्रसेन की पुत्री, जिनका विवाह राजा नेमिनाथ के साथ होने वाला था, किन्तु कारण वष नेमिनाथ के दीक्षा लेते ही राजुल ने भी कौमार्य अवस्था मे ही आर्यिका दीक्षा धारण कर ली। पुन यही नेमिनाथ भगवान के समवषरण में मुख्य आर्यिका बनी। Rajamati-Name of a chief Aryika (ganini) in…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्त्ररहित – Vastrarahita.: Unclothed, Nacked,Natural form of one. अचेलकत्व; वस्त्ररहित होना यह दिगम्बर जैन साधुओं के 28 मूलगुणों में से एक मूलगुण हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचनमस्कार मंत्र – Panchanamaskaara Mantra. See – Namokara mantra. देखें – णमोकार मंत्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजुलमती – जूनागढ के राजा उग्रसेन की पुत्री, जिनका विवाह राजा नेमिनाथ के साथ होने वाला था, किन्तु कारण वष नेमिनाथ के दीक्षा लेते ही राजुल ने भी कौमार्य अवस्था मे ही आर्यिका दीक्षा धारण कर ली। पुन यही नेमिनाथ भगवान के समवषरण में मुख्य आर्यिका बनी। Rajulmati- Name of a chief Aryika (ganini)…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुधा – Vasudhaa.: The earth. पृथिवी “वसु अर्थात द्रव्यों को धारण करने वाली पृथिवी वसुधा कहलाती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वल्लाभिका – Vallabhikaa.: Beloved female divinities of Indras causing love. इन्द्रों को प्रीति उत्पन्न करने वाली ,अपनी विक्रिया ,प्रभाव ,रूप , स्पर्श से उन्हें रमाने वाली देवियां “
उपायविचय Doing meritorious works . धर्मध्यान का एक भेद-कुमार्ग में पडे़ हुए जीवों के बारे में विचार करना कि ये मिथ्यात्व से कैसे छूटे। अपरनाम अपायविचय।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगसूत्र – योगदर्षन के सिद्धान्त आदि। व्याकरणकार पातंजलि के द्वारा संचालित सूत्र जिस पर व्यास ने भाश्य लिखा है। समय ई पू 4। Yogasutra-The principle of yoga philosophy