छद्मस्थ वीतराग!
छद्मस्थ वीतराग Detached, non-omniscient saint at the 11th-12th stage of spiritual development. ग्यारहवें-बारहवें गुणस्थान वाले मुनि छद्मस्थ वीतराग कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
छद्मस्थ वीतराग Detached, non-omniscient saint at the 11th-12th stage of spiritual development. ग्यारहवें-बारहवें गुणस्थान वाले मुनि छद्मस्थ वीतराग कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वपरित्याग – Sarvaparitayaaga. Renunciation of all (on the pathe of salvation). उपसर्ग मार्ग; शुद्धात्मा के सिवाय अन्य जो कुछ भी बाह्यअभ्यन्तर परिग्रह रूप है, उस सर्व का त्याग ही उत्सर्ग है। निष्चय नय, सर्वपरित्याग, परमोपेक्षा संयम, वीतरागचारित्र, शुद्धोपयोग ये सब एकार्थवाची है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावस्वाध्याय – Bhavasvadhyaya. Rethinking of spiritual contents. स्वाध्याय के द्वारा शुध्द आत्मा को अनुभव में लाना “
चैत्यालय A type of temple without having Kalash at the top of dome. ऐसा मंदिर जिसके शिखर पर कलश न हो ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वज्ञसिद्वि – Sarvagyasiddhi. Name of a book written by a saint Anantkirti. अनंतकीर्ति द्वारा रचित वृहत् तथा लधु सर्वज्ञसिद्वि ग्रंथ। समय ई.श. 8 ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदिशा – Vidisha. Subdirections, quarter parts of the four direc- tions. चारों दिशाओं के अतिरिक्त प्रत्येक दो दिशाओं के मध्य स्थित दिशाएँ – ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, ये ४ विदिशाएं कहलाती हैं “
चिलात A country of middle Mlechchhakhand (region) in the north Bharat Kshetra (region). उत्तर भरतक्षेत्र के मध्यम्लेच्छखण्ड का एक देश ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वापर विरोध – Purvapara Virodha. State of mutual contradiction. पूर्व और उत्तर समय अर्थात् परस्पर में विरोध होना “