द्विस्थानीय!
द्विस्थानीय A type of actual fruition of Karmic matters. अनुभाग बंध अप्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा लता दारू रूप अथवा नीमकांजीर रूप तथा प्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा गुड़ खाण्ड रूप बंध।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्विस्थानीय A type of actual fruition of Karmic matters. अनुभाग बंध अप्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा लता दारू रूप अथवा नीमकांजीर रूप तथा प्रशस्त प्रकृतियों की अपेक्षा गुड़ खाण्ड रूप बंध।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
एकप्रदेशत्व See – Ekapadårthasthitva. देखें- एंकपदार्थस्थित्व।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाणसंग्रहालंकार- प्रमाण संग्रह टीका विशयक एक ग्रंथ। Pramanasangrahalankara- Name of a Commentary book
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण (द्रव्य, क्षेत्र, काल)- द्रव्य क्षेत्र काल की मर्यादा। Pramana (Dravya, Ksetra, kala)- Measure related to matter, region & time
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृत्त – Sanvrtta. Covered, Concealed, Hidden, A type of female genital organ. जो ढका हुआ हो उसे संवृत्त कहते हैं ” या ऐसा स्थान जो देखने में न आये, योनि का एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभु- धाति कर्मो के क्षय से जिसने केवज्ञान के द्वारा परमार्थ को जान लिया है, सकल तŸवों का जिसने उपदेष दिया है वह प्रभ्ज्ञु होता है अर्थात अरिहंत भगवान। Prabhu- Almighty God
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमोचितावास – Vimochitavasa. A reflection of vow of non-stealing (staying of a saint in a deserted place). अचौर्यव्रत की एक भावना; दूसरे के द्वारा छोड़े हुए स्थानों में साधु का ठहरना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभ- सौधर्म स्वर्ग का 21 वाँ पटल व इन्द्रक का नाम। Prabha- Name of the 21stpatal (layer) &Indrak of Saudharma heaven
द्वितीय स्थिति Second life time. अंतरकरण या अंतर स्थितिके उपरिवर्ती सर्वस्थिति का नाम द्वितीय स्थिति है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्वारावती Another name of Dvaraka city. श्री कृष्ण की महानगरी; इसकी रचना देवों ने की थी और द्वीपायन मुनि के क्रोध से यह भस्म हुई थी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]