उह्य!
उह्य Called Girnar mountain in Junagarh of Saurashtra. तर्क वितर्क करना अर्थपूर्वक वाक्य में से शब्दों का लोप होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उह्य Called Girnar mountain in Junagarh of Saurashtra. तर्क वितर्क करना अर्थपूर्वक वाक्य में से शब्दों का लोप होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तिर्यक् द्विक A dyad related to subhuman beings (Tiryanch). तिर्यच गति व आनुपूर्वी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उभयदूषण A judicial bilateral fault. न्याय विषयक एक दोष। एकान्तरूप से अस्तित्व मानने पर जो दोष नास्तित्वाभाव रूप आता है अथवा नास्तित्वरूप मानने पर जो दोष अस्तित्वाभाव रूप आता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तिर्यांच The beings other than human, celestial & infernal beings. मनुष्य , देव और नारकी जीवों को छोड़कर शेष एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के जीव तिर्यंच कहलाते हैं। मन वचन काय की कुटिलता को प्राप्त, निकृष्ट अज्ञानी और जिनके अत्यधिक पाप की बहुलता पायी जाये, उसको तिर्यंच कहते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आदितीर्थ Primeval place of pilgrimages, Ayodhya & Sammedshikhar are also called as eternal (Shashvat). मूल अथवा प्राचीन तीर्थ-शाश्वत तीर्थ अयोध्या एंव शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखर।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ऋष्यमूक Name of a mountain of Bharat Kshetra (a region). भरत क्षेत्र का एक पर्वत।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तारणपंथी Non-idolator sect of Digambara Jain tradition. दिगम्बर जैनों में मूर्ति पूजा को न मानने वाला एक नया पंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] हेतु – Hetu. Cause, purpose, intention. जो साध्य के साथ अविनाभाविपने से निष्चित हो अर्थात् साध्य के बिना न रहे उसको हेतु कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परमात्मा:Supreme soul, Loard Arihant & Siddha.उत्कृष्ट आत्मा, अद्वैत एवं सिद्व भगवान ।
तात्पर्यवृत्ति Name of commetary books; written by Acharya Abhaynandi & Acharya Jaisen separately. आचार्य अभयनन्दि (ई. 930-950) द्वारा रचित तत्वार्थ सूत्र की टीका का नाम , आर्चार्य जयसेन (ई.श. 11-12) वृत्त समयसार , प्रवचनसार , व पंचास्तिकाय की टीकाएँ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]