विपर्यय ज्ञान!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपर्यय ज्ञान – Viparyaya Jnana. Wrong knowledge or faith. एक पक्ष का निश्चय करने वाले विपरीत ज्ञान को विपर्यय कहते हैं ” जैसे – सीप में ‘यह चांदी है’ इस प्रकार का ज्ञान होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपर्यय ज्ञान – Viparyaya Jnana. Wrong knowledge or faith. एक पक्ष का निश्चय करने वाले विपरीत ज्ञान को विपर्यय कहते हैं ” जैसे – सीप में ‘यह चांदी है’ इस प्रकार का ज्ञान होना “
तथाकार Assent of the instructions of Lord Arihant. समाचार का एक भेदः जीवादि का परम्पराा से चला आया उपदेश और सूत्रादि – इनमें जो अर्हंत ने कहा वह सत्य है, ऐसा समझना। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] युधिश्ठिर – कुरूवंषी राजा पाण्डु व कुन्ती का ज्येश्ठ पुत्र, षत्रुंजय गिरि से निर्वाण प्राप्त किया। Yudhisthira- a son og king ‘pandu’ related to kuru dynasty
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरचर्या –Vircarya. Strict and pure conduct of Jaina saints. निग्रन्थ मुनि की निर्दोष चर्या अथार्त कठोर आचरण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वार्थपुर – Sarvaarthapura. Name of a city in the north of Vijayardh mountain. विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लंघन – किसी कारणवष भोजन का त्याग कर देना लंघन है तथा विशय कशाय व आरम्भ का जहां संकल्पपूर्वक ध्यान किया जाता है वह उपवास हैं Lamghana-Food renunciation
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नत्रयकथा – आचार्य पùनंदी (इ्र, 1280 – 1330) कृत एक संस्कृत ग्रंथ Ratnatrayakatha-Name of a boom written by acharya Padmanandi