मूलवर्ण!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलवर्ण–Mula Varna. The basic 64 syllables. मूल64 अक्षर जो अनादि से जिनागम में प्रसिद्ध है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलवर्ण–Mula Varna. The basic 64 syllables. मूल64 अक्षर जो अनादि से जिनागम में प्रसिद्ध है”
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पज्जुण्णचरिउ: Name of a book written by Kavisingh. ई0 श0 12 के अन्तपाद मे कवि सिंह क्षरा प्रधुम्न चरित्र विषयक रचित एक ग्रंथ ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पांशुमूलिक विद्या:A type of knowledge of vidyadhara.विद्याधर वंश की एक विद्या का नाम।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति अघाती – Prakrti Aghati. A type of karmic nature. कर्म प्रक्रति का एक भेद; जो प्रतिजिवी गुणों का घात करती हैं वह अघाती कर्म प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवेचन – Vivechana. Thorough investigation, Meaningful description or exposition of treatise. कथन, व्याख्यान, वर्णन, शास्त्रों के कथन करने की पध्दति का कथन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसारानुप्रेक्षा – Sansaaraanuprekshaa. Contemplation about the wordly troubles. 12 भावनाओं में एक भावना; संसार के स्वभाव एवं संसार परिभ्रमण का अर्थात् दुःखमय स्वरुप का चिंतन करना “
त्रिकाल वंदना Act of paying reverence three times a day. पूर्वाह्न, मध्याह्न, व अपराह्न , में की जाने वाली सामायिक। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विश्वभूषण – Vishvabhushana. Name of a Digambar saint, the composer of ‘Bhaktamar charit’ & ‘lndradhvaj Vidhan’ in Sanskrit. भक्तामर चरित एवं संस्क्रत इंद्रध्वज विधान के रचियता एक दिगम्बर साधु “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाथधर्म कथा – Nathadharma Katha The 6th part of Dvadshang (scriptural knowledge)- a supreme tale containing conversation related to Lord etc. ज्ञातधर्म कथा; द्वादशांग का छठा अंग जिसमे गणधर देवकृत प्रश्नों के उत्तर व तीर्थंकर; गणधर आदि संबंधी धर्म कथा का वर्णन होता है ” इसके 5 लाख 56 हजार मध्यम पद है ”