स्वपर प्रकाशक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर प्रकाशक – Svapara Prakaasaaka. Omniscience (causing enlightenment of self & others)ज्ञान। केवलज्ञान जो निश्चय नय से स्व को और व्यवहार नय से पर को जानता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर प्रकाशक – Svapara Prakaasaaka. Omniscience (causing enlightenment of self & others)ज्ञान। केवलज्ञान जो निश्चय नय से स्व को और व्यवहार नय से पर को जानता है।
उत्कीरण काल Destructional or reducing period of Karmic powers. कुल अनुभाग के काण्डपक करके उन्हें घातार्थ जिस अन्त र्मुहूर्त काल में स्थाकपित किया जाता है, उसे उत्कीrरण काल कहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयपाल Name of an Acharya possessing knowledge of 11 Angas (scriptural knowledge). ११ अंगधारी पांच मुनियों में दूसरे मुनि (वी. नि. ३६३-३८३)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्वापसरण – Satvaapasarana. Regression of Karmic nature. कर्म प्रकृतियों का सत्ता में घटना या अपसरण होना “
उछाव Rejoicing, festivity, ceremony. उत्सव धर्मप्रभावना रूप् रथयात्रा इत्यादि को भी उछाव कहा जाता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयंधर – Vinayandhara. Name of a great Acharya possessing some knowledge of Anga & Purva (part of scriptural knowledge). लोहाचार्य के बाद हुए अंग और पुर्वों के एक देश के ज्ञाता ४ मुनियों में प्रथम मुनि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्व-उपकार – Sra – Upakaara. Benefitting self (reg. soul).आत्महित।
उच्चगोत्र कर्मप्रकृति A type of karmic nature (reg. higher status). वह कर्म जिसके उदय से लोक पूजित या लोक मान्य कुल में जन्म हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोरमा- Manoramaa. Something attractive or beautiful, Name of the daughters of king Pawanveg and Chakravarti Abhayaghosh. विजयार्ध पर्वत पर मेघपुर नगर के राजा पवनवेग की पुत्री , चक्रवर्ती अभयघोष की पुत्री का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादेकत्व – Syaadekatva. Oneness in nature (in some aspect).द्रव्य के सामान्य 11 स्वभावो मे एक स्वभाव। सम्पूर्ण स्वभावो का एक आधार होने से कथंचित् एक स्वभाव होना।