षडंशता!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षडंशता – Sadanshata. Defining a matter into 6 parts. किसी द्रव्य को 6 अंशों में मानना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षडंशता – Sadanshata. Defining a matter into 6 parts. किसी द्रव्य को 6 अंशों में मानना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निर्वाण : == जाइ—जर—मरणरहियं परमं कम्मट्ठवज्जियं सुद्धं। णाणाइचउसहावं अक्खयमविणासमच्छेयं।। —नियमसार : १७७ निर्वाण की स्थिति जन्म, जरा व मरण से रहित होती है। वह आठ कर्मों से रहित, उत्कृष्ट एवं शुद्ध है। वह अनंत दर्शन, अनंत ज्ञान, अनंत सुख व अनंत वीर्य—इन चार आत्मिक स्वभावों से युक्त है,…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदज्ञान: Knowledge to be perceived through syllabary, Grammatical knowledge. अक्षरों से होने वाले ज्ञान को उपचार से पदज्ञान कहते है। व्याकरण ज्ञान, इसे पद विद्या भी कहते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेत्रासन –Vetrasana Shape of lower world (like drum with narrow middle part) मुढे के समान अधोलोक का आकार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेतरुधिर – Shvetarudhira. Blood having milk colour, one of the 10 excellences of the birth of Lord Arihant. अरहंतो के जन्म के 10 अतिशयों में एक अतिशय, दूध के समान धवल (सफेद ) रुधिर होना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पतझड :Autumn(time of decay) cause for the worldly disattachment of Lord Suparshvanath & Shreyansnath. भगवान सुपाश्र्वनाथ एवं श्रेयांसनाथ के वैराग्य का कारणं।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलवर्ण–Mula Varna. The basic 64 syllables. मूल64 अक्षर जो अनादि से जिनागम में प्रसिद्ध है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रेयस्कर – Shreyaskara. Mertorious, Auspicious, A type of heavenly deities. लाभप्रद, मंगलकारी, लौकांतिक देवो का एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रारब्ध देश संयमी – जिसने श्रावक के व्रतों का अभ्याश प्रारंभ किया Prarabdha desa Samyami- layman votary with abstinence
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पज्जुण्णचरिउ: Name of a book written by Kavisingh. ई0 श0 12 के अन्तपाद मे कवि सिंह क्षरा प्रधुम्न चरित्र विषयक रचित एक ग्रंथ ।