श्रोत्रिय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोत्रिय – Shrotriya. One who has thoroughly studied the scriptures. श्रुत शास्त्र के जानने वाले श्रोत्रिय कहलाते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोत्रिय – Shrotriya. One who has thoroughly studied the scriptures. श्रुत शास्त्र के जानने वाले श्रोत्रिय कहलाते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोजन – Sanyojan. The act of joining or mixing. A fault related to saint-food. मिलाना, आहार सम्बन्धी एक दोष “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुताज्ञान – Shrutaagyaana. False scriptural knowledge. मिथ्याश्रुतज्ञान; चौरशास्त्र, हिंसा शास्त्र तथा महाभारत, रामायण आदि के परमार्थ शून्य होने से साधन करने के अयोग्य उपदेश “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सतालक – Sataalaka. A type of peripatetic deities. पिशाच जाति व्यंतरों के 14 भेदों में एक भेद “
धूपदशमी व्रत A vow (fasting) on the day of Dhupadashmi, one of the Jaina festival. दशलक्षण पर्व में आने वाली दशमी को शीतलनाथ भगवान की पूजा- जाप्य एवं उपवास करना। धूपदशमी के दिन मंदिरों में सामूहिकरूप में अग्नि में धूप खेने की प्राचीन परम्परा है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतगुरु – Shrutaguru. Spiritual preceptor. जो प्रायश्चित देकर संवेग व वैराग्य जनक परमागम के वचनों द्वारा साधु का संवरण करते है वो निर्यापक है ” उन्हें ही शिक्षा गुरु या श्रुत गुरु भी कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्तवक – Sanstavaka. The 2nd Patal (layer) of the 2nd hell. दूसरे नरक का दूसरा पटल “
धारणा Retention of known objects. मतिज्ञान के 4 भेदों में एक भेद ; अवायज्ञान के द्वारा जाने गये पदार्थ का विस्मरण नहीं होना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]] या 5 conceptual stages of meditation (Pindastha). पिण्डस्थ ध्यान की 5 धारणाएँ मानी हैं- पार्थिवी , आग्नेयी, वायवी, वारूणी एंव तत्वरूपवती। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आन्तरिक सज्जा Interior decoration or furnishing. भीतरी सजावट।[[श्रेणी:शब्दकोष]]