निर्ग्रन्थलिंड़्!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्ग्रन्थलिंड़् – Nirgranthalinga. Possessionless &passionless sign, state of Digambar saint. दिगम्बर मुनि; जिनमुद्रा अर्थात् अर्हन्त मुद्रा, नीष्परिग्रह लिंग (चिन्ह) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्ग्रन्थलिंड़् – Nirgranthalinga. Possessionless &passionless sign, state of Digambar saint. दिगम्बर मुनि; जिनमुद्रा अर्थात् अर्हन्त मुद्रा, नीष्परिग्रह लिंग (चिन्ह) “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावस्वाध्याय – Bhavasvadhyaya. Rethinking of spiritual contents. स्वाध्याय के द्वारा शुध्द आत्मा को अनुभव में लाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरावरण – Niraavarana. Univeiling, Uncovered. आवरण से रहित (केवल ज्ञान), मुनियों के द्वारा बिना आवरण के शयन करना कायक्लेश तप का एक लक्षण है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदिशा – Vidisha. Subdirections, quarter parts of the four direc- tions. चारों दिशाओं के अतिरिक्त प्रत्येक दो दिशाओं के मध्य स्थित दिशाएँ – ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, ये ४ विदिशाएं कहलाती हैं “
देवावर्णवाद False allegations for heavenly deities. दर्शनमोहनीय कर्म के आस्रव का एक कारण स्वर्गलोक में रहने वाले देवी- देवता सुरापान करते हैं , मांस खाते हैं इस प्रकार देवगति के देवों पर मिथ्या आरोप लगाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वापर विरोध – Purvapara Virodha. State of mutual contradiction. पूर्व और उत्तर समय अर्थात् परस्पर में विरोध होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकादित्य –Lokaditya : Name of a king contemporary to Akaalvarsh. उत्तरपुराण की प्रशस्ति अनुसार अकालवर्ष के समकालीन एक राजा, आचार्य लोकसेन ने इनके समय में ही उत्तरपुराण को पूर्ण किया “समय –ई .898 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नरकगति – Niratagati. Destination of hell, hellish life course or destinity. नरकगति “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा मुक्ति Salvation after one or two births.एक दो आदि भवों के अनंतर मुक्ति होना ।