दिग्वासी देव!
दिग्वासी देव Peripatetic celestials (deities). व्यंतर देव का अपर नाम ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दिग्वासी देव Peripatetic celestials (deities). व्यंतर देव का अपर नाम ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यग्रोध वृक्ष – Nyagrodha Vriksha. Banyan tree, initiation tree of Lord Rishabhabdev. बरगद का पेड़; ऋषभनाथ भगवान के दीक्षा एवं केवलज्ञान वृक्ष का नाम” इसका अपरनाम वटवृक्षया अक्षय है “
दशाध्यायी सूत्र Another name of ‘Tattvarth Sutra’ written by Acharya Umasvami. आचार्य उमास्वामी कृत तत्वार्थसूत्र का अपरनाम जिसमें दश अध्याय हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विधिवाक्य – Vidhivakya. Statement reg. ordinace or order. आज्ञा या आदेश करने वाले वाक्य विधि वाक्य हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रासन – Bhadrasana. A specific reverential place at Pandukshila. पाण्डुकशिला पर स्थित एक आसन “
तोयंधरा Name of a female deity of Vijaykuta. नन्दनवन में स्थित विजयकूट की स्वामिनी दिक्कुमारी देवी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेतस –Vetasa. Cane, a type of wood used in the Pichchhi of Jaina saints & other furniture too. बेंत, एक प्रकार की लकड़ी, जो जैनसाधुओं की पिच्छी में पकडने वाली डंडी के रूप में प्रयुक्त की जाती है ” वर्तमान में विशेष फ़र्निचर निर्माण में भी इसका प्रयोग होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म द्रव्य कर्म – Nokarma Dravya Karma. External substances causing some results by Karmic fruition. कर्म प्रकृति के उदय फलस्वरूप जो कार्य हो उस कार्य के लिए जो बाहरी वस्तु कारण भूत हो वह वस्तु प्रकृति का नोकर्म द्रव्य कर्म है “
दशपूर्वी Great knowledge of 10 Purvas. अभिन्नदशपूर्वी मुनियों की बुद्धि दशपूर्वी कहलाती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]