परद्रव्य रत!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परद्रव्य रत:False belief of having possession of all destroyable matters including own body.जगत् में दर्शनमोहनीय कर्म के उदय से सम्पूर्ण पर पदार्थें, शरीर आदि को निज मानना ।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परद्रव्य रत:False belief of having possession of all destroyable matters including own body.जगत् में दर्शनमोहनीय कर्म के उदय से सम्पूर्ण पर पदार्थें, शरीर आदि को निज मानना ।
तृण स्पर्श Affliction in the grassy resting with troublesome materials. 22 परीषहों में एक परीषह , सूखे तिनके, कंकर , पत्थर आदि की वेदना को समतापूर्वक सहन कराना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वार्थाधिगम – Svaarthaadhigama. Self knowledgeable approach. अधिगम के दो भेदो मे एक भेद, यह ज्ञान स्वरुप है जो प्रमाण और नय भेदो वाला है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाद्य – Svadya. Worth tasting, appetizing. आहार के 4 भेदो मे एक भेद। मुख का स्वाद बदलने के लिए खाने वाले लौग, इलायची आदि पदार्थ स्वाद्य कहलाते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावश्रुत – Bhavasruta. Acquisition of scriptural knowledge by listening of Dvadshang. द्वादशांग (जिनवाणी) के सुनने से जो स्वसंवेदन रूप ज्ञान होता है वह भावश्रुत है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक दुःख – Saansaarika Duhkha. Worldly affictions or troubles. लौकिक विषयों से उत्पन्न दुःख अर्थात् भोगसाधनात्मक भोगो का वियोग होने से जो दुःख उत्पन्न होता है। संसारी जीवों का इन्द्रिय सुख वासना जनित होने के कारण होने के कारण दुःखमय ही है क्योंकि आपत्त्किाल मे भोग व रोग चित्त मे उद्वेग करने वाले है।
तिर्यग्त्रिक A triplet related to Tiryanch beings. तिर्यचगति, तिर्यचगत्यानुपूर्वी, तिर्यंच आयु। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहायक कारण – Sahaayaka Kaarana. A helping cause. एक कारण । जो स्वयं कार्यरूप परिणाम वह उपादान कारण है तथा उसमें सहयक होने वाले पर द्रव्य व गुण निमित्त सहायक कारण है। इसे बलाधान या उदासीन निमित्त भी कहते है।
तिर्यग्व्तिक्रम Exceeding the limits set in the direction, namely horizontally. दिग्व्रत का एक अतिचार, समान धरातल में की गई सीमा का उल्लंधन करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]