प्रकृति अघाती!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति अघाती – Prakrti Aghati. A type of karmic nature. कर्म प्रक्रति का एक भेद; जो प्रतिजिवी गुणों का घात करती हैं वह अघाती कर्म प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति अघाती – Prakrti Aghati. A type of karmic nature. कर्म प्रक्रति का एक भेद; जो प्रतिजिवी गुणों का घात करती हैं वह अघाती कर्म प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शौचधर्म – Shauchdharma. Observance of purity or greedlessness (victory over greed). 10 धर्मों में चौथा धर्म ” लोभ पर विजय पाना ही शौचधर्म है, इससे सातावेदनीय कर्म का आस्रव होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशस्त ध्यान- प्रषंसनीय ध्यान। धर्मध्यान, शुक्लध्यान जो मोक्ष के कारण है। Prasasta Dhyana- Commendable meditation
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवेचन – Vivechana. Thorough investigation, Meaningful description or exposition of treatise. कथन, व्याख्यान, वर्णन, शास्त्रों के कथन करने की पध्दति का कथन करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शिष्य : == पितरमिव गुरुमुपचरेत्। —नीतिवाक्यामृत : ११-३४ शिष्य गुरु के साथ पिता के समान व्यवहार करे। प्रज्ञयातिशयानो न गुरुमवज्ञायेत। —नीतिवाक्यामृत : ११-२० अधिक प्रज्ञावान होने पर भी शिष्य गुरु की अवज्ञा न करे। संदिहानो गुरुमकोपयन्ननापृच्छेत्। —नीतिवाक्यामृत : ११-१५ संदेह होने पर शिष्य इस प्रकार से पूछे कि…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवाह क्रम- धारावाहिक; प्रतिसमय होने वाले द्रव्यों के उत्पाद व्यय। Pravaha Krama- Sequential flow
त्रिकाल वंदना Act of paying reverence three times a day. पूर्वाह्न, मध्याह्न, व अपराह्न , में की जाने वाली सामायिक। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विश्वभूषण – Vishvabhushana. Name of a Digambar saint, the composer of ‘Bhaktamar charit’ & ‘lndradhvaj Vidhan’ in Sanskrit. भक्तामर चरित एवं संस्क्रत इंद्रध्वज विधान के रचियता एक दिगम्बर साधु “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यक्षाभास- pratyaksabhasa Fallacious direct perception प्रत्यक्ष ज्ञान को अविषद स्वीकार करना।