यथाकाल उदय!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथाकाल उदय–Yathakala udaya Fruition of karmic nature on maturity. स्तिथिपूर्ण होने पर समय पर कर्मो का उदय में आना “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथाकाल उदय–Yathakala udaya Fruition of karmic nature on maturity. स्तिथिपूर्ण होने पर समय पर कर्मो का उदय में आना “
द्वारवंग A place, present Darbhanga district. वर्तमान दरभंगा जिला। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
ऐहिक फलानपेक्षा Quality of selfless donation. दाता का पहला गुण-दान देने पर लौकिक फल की इच्छा न करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आर्यनंदि Disciple of ‘Acharya Chandrasen’ and spiritual guide of Veersen ji. पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार चंद्रासेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरू थे (ई.767-798)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाषा पर्याप्ति काल – Bhasha Paryaptikala. Period of vocal completion. भाषा पर्याप्ति पूर्ण होने पर जितने समय तक मन पर्याप्ति पूर्ण न हो तब तक भाषा पर्याप्ति काल कहलाता है “
दंड समुद्घात Expansion of spaces of soul in term of 14 Rajju. केवली के समुद्घात करने का प्रथम चरण, केवली भगवान की आयु कर्म की स्थिति वेदनीय , नाम, गोत्र के बराबर करने के लिए आत्मा के प्रदेश वातवलय को छोड़कर दण्डरूप से 14 राजू तक फैल जाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
एकांग One organ activity (reverence with bending the head only). नमस्कार का प्रकार (केवल सिर झुकाना एकांग नमस्कार है)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेष संग्रह नय – Vishesha Samgraha Naya. A word or phrase used for expressing a collec- tive form of something like herd of elephants etc. दृष्टांतों के द्वारा प्रत्येक जाति के समूह को नियम से एक वचन के द्वारा स्वीकार, करके कथन करने वाला नय ” जैसे – हाथियों का झुण्ड, घोड़ों…
एकादश अंगधर Jain Acharyas possessing knowledge of 11 Angas. 11 अंगधारी 5 आचार्य- नक्षत्र, यशपाल, पाण्डु, ध्रुवसेन, कंस।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुष्टिविधान व्रत–Mushtividhan Vrat. A particular kind of vow of worshiping the Lord Arihant. प्रतिवर्ष भादो, माघ व चैत्र मास में अर्थात तीनों सोलहकारण पर्वो में क्र. 1 से शु. 15 तक पुरे–पुरे महीने प्रतिदिन 1 मुष्टि प्रमाण शुभ द्रव्य भगवान् के चरणों में चढ़ाकर अभिषेक व चातुविशति जिन पूजन करना” साथ ही ॐ…