वीर्य लब्धि!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर्य लब्धि – ViryaLabdhi A type of attainment pertaining to the vitality of beings. ५ लाब्धियों में एक लब्धि ” शक्ति की प्राप्ति जो वीर्यन्तराय कर्म के क्षयॉपशन से होती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर्य लब्धि – ViryaLabdhi A type of attainment pertaining to the vitality of beings. ५ लाब्धियों में एक लब्धि ” शक्ति की प्राप्ति जो वीर्यन्तराय कर्म के क्षयॉपशन से होती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थितिकरण – Sthitikarana. Re-steadiness of one in religion (a part of right perception).सम्यग्दर्षन के 8 अंगो मे एक अंग। धर्म से विचलित होते हुए जीवो को या स्वंय को धर्म मे पुनः दृढ़ करना स्थितिकरण अंग है।
धनपति Lord of wealth, The name of Lord Arahnath in the past birth. धनकुबेर (देखें-धनद), अरहरनाथ भगवान के पूर्व भव का नाम।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग –Vitaraga. One free from all passions and attachments, or passionless one. जहां मोह का उदय न राह हो ” आत्म साधन के द्वारा जिन्होंने राग-द्वेष को नष्ट कर दिया है उन्हें वीतराग कहते हैं ” अरिहंत भगवान पूर्ण वितारागी होते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थविर मुनि – Sthavira Muni. Senior saint guiding own saint-tradition.चतुर्विध संध के पाॅच आधारो आचार्य, उपाध्याय, गणधर, प्रवर्तक और स्थविर मे एक, जो मुनि संध मे संध की रीति व प्राचीन परम्परा बताये वह स्थविर मुनि होते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूत – Bhuta. Demons, peripatetic deities: जो (व्यंतरों के ८ भेदों में एक भेद; इनके ७ भेद हैं) “
चतुर्मुखमह A type of worship (performed by kings). सर्वतोभद्र पूजा ; पूजा का एक भेद जो मुकुटबद्ध राजाओं के द्वारा की जाती है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव क्रिया – Samyaktva Kriyaa. Worshipping the Jaina Lord, scriptures & saints. साम्परायिक आस्त्रव की 25 क्रियाओ मे पहली क्रिया। सच्चे देव शास्त्र गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना। इससे सम्यक्तव की प्राप्ति और पुण्यबंध होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भविष्यग्राही ज्ञान – Bhavisyagrahi gyaana. Clairvoyance; to have knowledge of telepathic prediction; knowledge pertaining to whole fu- ture events. अवधिज्ञान, जिसके द्वारा भावी असंख्यातपर्याय – विशिष्ठ वस्तु का ज्ञान देखा जाता है “
चतुष्टय Infinite perception-knowledge-bliss and potence togetherly called Chatushtay. अनंतदर्शन ,अनंतज्ञान ,अनंतसुख, अनंतवीर्य ये चार अनंतचतुष्टय कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]