युग!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] युग – दो कल्पो का एक युग होता है काल एवं क्षेत्र का प्रमाण चिषेशं। Yuga-Measurement unit of time & area
[[श्रेणी:शब्दकोष]] युग – दो कल्पो का एक युग होता है काल एवं क्षेत्र का प्रमाण चिषेशं। Yuga-Measurement unit of time & area
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांवत्सरिक प्रतिक्रमण – Saamvatsarika Pratikramana. A type of repentance carried on annually by jain saints. प्रतिक्रमण के 7 भेदो मे छठा भेद । देखे- वार्षिक प्रतिक्रमण।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पति- जिस वनस्पति का आश्रय निगोद या साधारण वनस्पति रहे। pratisthita pratyeka vanaspati – general plant life (one sensed beings)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लक्ष्य लक्षण संबंध – संबंध का एक भेद। धर्म धर्मी में संबंध। Laksya Laksana Sambamdha-A relative factor
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिष्ठा विधान- प्रतिश्ठा संबंधि- विधान। pratistha vidhana – reverential procedure for consecrational celebration
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवप्रत्ययिक – Bhavapratyayika. Inherent clairvoyance – a type of clairvoyance (Avadhigyan). अवधिज्ञान के दो भेदों में प्रथम भेद; इसके होने में मुख्य रूप से भव निमित्त होता है , देव – नारकी जीवों को यह ज्ञान जन्म से ही होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रघुम्नचरित्र- आचार्य सोमकीर्ति (ई. 1474) एवं आचार्य सोमाकृति (ई. 1516-1556) द्वारा रचित ग्रंथ। pradyumnacaritra – name of the books written by (1) acharya somkirti, (2) acharya shubhachandra
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लघिना ऋद्धि – विक्रिया ऋशि का एक भेद, जिस ऋशि के प्रभाव से साधु अपने षरीर को वायु से भी हल्का बनाने मेे समर्थ थे। Laghima Rdhhi-A type of super natural power pertaining to turning body lighter than air
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचन सत्रिकर्ष- द्वादषंग श्रुतज्ञान; जिसमें प्रकर्श रुप से वचन सन्निकृश्ट होते है। Pravacanasannikarsa- Shrutgyan, scriptural knowledge (with all 12 parts)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्धिविधान व्रत – तीन वर्श तक हरे भादों माघ व चैत्र मास में कृ अमावस को एकासन 1 से तीन को तेला तथा 4 को एकासन करना एवं षीलव्रत पालते हुए ऊँ हीं महावीराय नम की त्रिकाल जाप करना। Labdhividhana Vrata-A particular type of fasting or vow