चंद्रानन!
चंद्रानन A Tirthankar (Jaina-Lord) of Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र के विद्यमान २० तीर्थंकर में एक तीर्थंकर का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चंद्रानन A Tirthankar (Jaina-Lord) of Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र के विद्यमान २० तीर्थंकर में एक तीर्थंकर का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मद – Mada. Proud, Pride, Arrogance, Hautiness. घमंड , यहज्ञान , कुल , रूप आदि 8 भेदों वाला होता है “
त्रिषष्टि कर्म प्रकृति Sixty three types of Karmic nature (which are destroyed by Lord Arihant). 63 कर्म प्रकृतियां ,जिनके नाश से अरहंत परमेष्ठी होते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चंद्रप्रभु Name of the 8th Tirthankar (Jaina-Lord). ८वें तीर्थंकर ; इनका जन्म चन्द्रपूरी के इक्ष्वाकुवंशी राजा माहासें एवं रानी लक्षमणा के यहाँ हुआ था. इनकी १० लाख पूर्व की आयु एवं १५० धनुष (छह सौ हाथ) शरीर की ऊंचाई थी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मणिपुर चक्र – Manipura Chakra. Circular position of navel to be used for the installation of Mantras in meditation. नाभिचक्र; इसके ऊपर मन्त्रों को स्थापित कर ध्यान किया जाता हैं “
दिक्कुमारी Eight particular female deities who come to serve the mother of Tirthankars (Jaina-Lords). श्री, ह्री, घृति, कीर्ति , बुद्धि, लक्ष्मी, शांति और पुष्टी से आठ दिक्कुमारी देवियाँ हैं जो तीर्थंकर माता की सेवा करने के लिए आती है (प्रतिष्ठा तिलक के आधार से)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
गृहस्थापित दोष A fault of hermitage. वसतिका का एक दोष; गृहस्थ द्वारा स्वयं के किए बनवाया गृह, साधु आश्रय के नाम करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समगुण – Samaguna. Similar virtues or properties. सदृष या समान गुण।
त्रिवर्णाचार A book written by Somdeva Bhattarak. सोमदेव भाट्ठारक (ई. 1610) कृत पूजा- अभिषेक, सूतक- पातक आदि विषयक ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
घोषा A type of divine musical instrument. देवों के द्वारा विद्याधरों को दी गई एक वीणा ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]