वाच्य!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाच्य –Vaachya.: Expressible in words. कहने योग्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचाचार – Panchaachaara. Five kinds of special right conducts observed by Jaina Acharya. सम्यग्दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चारित्राचार, तपाचार, और वीर्याचार ये पंचाचार कहे जाते हैं” जैन आचार्य इनका प्रमुखतासे पालन करते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचनिक आस्रव– Vaachanika Aasrava.: Karmic influx caused due to auspicious & inauspicious speeches. शुभ-अशुभ वचनों से होने वाला शुभाशुभ कर्मास्रव “
दुःस्वर नाम कर्म प्रकृति A Karmic nature causing bad voice. एक कर्म प्रकृति जिसके उदय से स्वर अच्छा न मिले । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलसप्तमी व्रत – Sheelasaptamee Vrata. A kind of fasting foe 7 years with specific procedure. सात वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल 7 को उपवास तथा णमोकार मंत्र त्रिकाल जाप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचविंशतिका – Panchavinshatikaa. Name of a book written by Acharya Somdev-2. आचार्य सोमदेव-2 (ई. सन् 1062-1081) कृत एक ग्रंथ “
दीपसेन Name of an Acharya, disciple of Acharya Nandisen. आचार्य नंदिसेन के शिष्य तथा धरसेन के गुरू (श्रुतावतार से भिन्न कथानुसार)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर विधान – Bhakramara Vidhana. A worshipping book of Bhaktamar Stotra. एक पूजा विशेष जिसमें भक्तामर स्तोत्र के ४८ काव्य पढ़कर ४८ अधर्य चढ़ाते हुए भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है ” इसकी रचना गणिनी ज्ञानमती माताजी की शिष्या आर्यिका श्री चंदनामति माताजी के द्वारा की गई है ” अन्य लेखकों…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच भ्रष्ट मुनि – Pancha Bhrashta Muni. Saint with five types of faults. पार्श्वस्थ, कुशील, संसक्त (आहार का लोभी), अपगत (ज्ञान रहित), मृगचारी (स्वछन्द अर्थात् अनर्गल विहारी) मुनि “