शिकार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिकार – Shikaara. Hunting, one of the 7 evil habits. 7 व्यसनों में एक व्यसन, आखेट, जंगल के निरपराधी पशुओं को मारना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिकार – Shikaara. Hunting, one of the 7 evil habits. 7 व्यसनों में एक व्यसन, आखेट, जंगल के निरपराधी पशुओं को मारना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय श्रुतकेवली – Nishchaya Shrutakevali. Great saints, absolutely well-versed in scriptual knowledge. सर्व श्रुत को जानने वाले वीतरागीमुनि “
त्रिकोण रचना To pay reverence three times a day. उदयागत कर्म निषेकों की त्रिकोण रचना, एक एक घटता हुआ निषेक उदय में आना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शालि – Shali. A special type of rice. एक विशेष प्रकार का धान्य-चावल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्रतिक्रमण – Nishchaya Pratikranana. Absolute penitential retreat for good & bad Karmas. पूर्वकृत जो अनेक प्रकार के विस्तार वाले शुभ व अशुभ कर्म है, उनकों आत्मा से पृथक करके आत्मलीन होना ” यह मुनि अवस्था में ही घटित होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाना-जीव नाना-अजीव – Nana-Jiva Nana-Ajiva Theory of many animates and inanimates अनेक जीव और अनेक अजीव ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == श्रद्धा : == जं सक्कइ तं कीरइ, जं न सक्कइ, तयम्मि सद्दहणा। सद्दहमाणो जीवो, वच्चइ अयरामरं ठाणं।। —धर्म संग्रह : २-२१ जिसका आचरण हो सके, उसका आचरण करना चाहिए एवं जिसका आचरण न हो सके, उस पर श्रद्धा रखनी चाहिए। धर्म पर श्रद्धा रखता हुआ जीव भी जरा…
उपशमसम्यग्दर्शन Origination of right perception due to upasham. दर्शन मोहनीय कर्म के उपशम से आत्मा में जो निर्मल श्रद्धान उत्पन्न होता है यह प्रथमोपशम एंव द्वितीयोपशम समर्यदर्शन के भेद से 2 प्रकार का है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागार्जुन – Nagarjuna A great personality of Bauddha, Name of a writer of Ayurved. एक बौध विद्वान (आचार्य पूज्यपाद स्वामी से प्राप्त पघावती मंत्र को सिद्ध करके इन्होने स्वर्ण बनाने की विघा प्राप्त की)” कर्नाटक जैन कवी-वैघक शाश्त्र में पारंगत एवं नागार्जुन कल्प आदि वैघक गंथ्रो के कर्ता ”