हुंडकसंस्थान!
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हुंडकसंस्थान – Humdakasamsthaana. Misshaped structure of body. संस्थान के 6 भेदो मे एक भेद-विषम या बेडौल शारीरिक आकृति का बनना।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हुंडकसंस्थान – Humdakasamsthaana. Misshaped structure of body. संस्थान के 6 भेदो मे एक भेद-विषम या बेडौल शारीरिक आकृति का बनना।
तीर्थंकर नामकर्म प्रकृति Auspicious Karmic nature causing the state of Tirthankar (Jaina -Lord). नामकर्म की एक पुण्य प्रकृति, इसका बंध सोलहकारण भावना भाने से होता है। ऐसे परिणाम केवल मनुष्य भव में और वहाँ भी किसी तीर्थंकर अथवा केवली के पादमूल में ही होने संभव है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिंसानंदी – Himmsaanammdi. A wicked concentration-to involve in violenceful activities with interest. रौद्रध्यान के चार भेदो मे एक भेद-तीव्र कषाय के वषीभूत होकर जीवसमूह को स्वंय मारने मे या दूसरे के द्वारा मारे जाने मे हर्षित होना और सदा हिंसा के कार्यों मे मन लगाये रखना हिंसौनंदी रौद्रध्यान है।
आमर्शन To touch any part of body. शरीर के किसी एक भाग को स्पर्श करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्रव्य सम्यग्दृष्टि One having keen desire & eligible talent for getting right perception. जो जीव अपने कल्याण का इच्छुक है अर्थात् जिसमें आगामी काल में सम्यक्त्व होने की योग्यता है। यह द्रव्य निक्षेप की अपेक्षा कथन है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भानुनंदी – Bhanunamdi. Name of the disciple of Nemichandra-1 & preceptor of Sinhnandi-1. नेमिचन्द नं. १ के शिष्य और सिंहनन्दी नं. १ के गुरु (ई. ५६५-५८६) का नाम “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हरिण – Harina. The deer, significant symbol of the 16th Tirthankar (Jaina Lord) Shantinath. The symbolic mark of the third Tirthankar of Videh kshetra (region). 16 वे तीर्थकर शन्तिनाथ का चिन्ह, विदेह क्षेत्रस्थ तीसरे तीर्थकर बाहु का चिन्ह।