योगप्रत्यय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगप्रत्यय – कर्मबंध का एक कारण, मन वचन काय की षुभ – अषुभ क्रिया। Yogapratyaya-Auspicious & inauspicious activity of mind speech & body (a reason for karmic binding)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगप्रत्यय – कर्मबंध का एक कारण, मन वचन काय की षुभ – अषुभ क्रिया। Yogapratyaya-Auspicious & inauspicious activity of mind speech & body (a reason for karmic binding)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर सल्लेखना – Shareera Sallekhanaa. Holly destruction of the body by reducing food taking etc. (an austerity). बाह्य सल्लेखना या कायक्लेश रूप अनुष्ठान करना अर्थात् भोजन आदि त्याग करके शरीर को कृश करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पर समय:False belief of involvement in materialism (i.e. other than soul).जीव का परद्रव्यरत रहना, आत्मा को छोडकर पर द्रव्य को निज रूप मानना । जैन धर्म से बहिर्भूत सभी शास्त्र आदि परसमय कहलाते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगद्वार – आस्त्रव, आत्मा से बंधने के लिए कर्मो का योगरूपी नाली के द्वारा आना। Yogadvara-path of inflow of karmas into soul
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शय्या परिषह – Shayyaa Parishaha. A kind of affliction relted to sleeping with hardness. 22 परिषहों में एक परिषह; ध्यान अध्ययन अथवा मार्ग के श्रम से थककर साधू द्वारा कठोर भूमि पर एक करवट बिना कुछ ओढ़े अल्प निद्रा लेना और बाधा को समतापूर्वक सहन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रामायण जैन – ई सन् 1275 में एक कन्नड कवि कुमुदेन्दु द्वारा रचित एक ग्रंथ। Ramayan (jaina)-A religious treatise written by kannad poet Kumudendu
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पर रूप:Alien nature.अपने स्वभाव को छोडकर विभाव रूप परिणमन होना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूजा – वेदना रोग, पीडा संताप। Ruja-Illness, Infraction, Pain, Trouble
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचकवर पर्वत – मध्य लोक के 13 द्वीप का कुण्डलाकार पर्वत इस पर कुल 44 कूट है पूर्वादि दिषा में 8 – 8 कूट हैं जिन पर दिक्कुमारी देवियां रहती है।जो भगवान की माता की सेवा में जन्म कल्याणक के समय आती है। अभ्यंतर भाग में चार सिद्ध कूट है। Rucakavara parvata-name of a…