रघु!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रघु – इक्ष्वाकु वंष में अयोध्या नगरी के राजा। अनरण्य का पिता और दषरथ का दादा। Raghu-A king of Ayodhya city of Ikshvaku Dynasty
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रघु – इक्ष्वाकु वंष में अयोध्या नगरी के राजा। अनरण्य का पिता और दषरथ का दादा। Raghu-A king of Ayodhya city of Ikshvaku Dynasty
ऊठकोडि़ Three and a half crores. साढ़े तीन करोड़ (पूर्व निमाड़-म.प्र. स्थित सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्र से दो चक्रवर्ती दश कामदेव और साढे तीन करोड़ मुनि मोक्ष पधारे) ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्थान विचय – Sansthaana Vichaya. A type of religious contemplation about different dimensions of Teen Lok- three worlds. धर्मध्यान का चौथा भेद ” तीन लोक के संस्थान प्रमाण, भेद आदि का चिंतन करना ” इसके पिंडस्थ, पदस्थ, रूपस्थ और रूपातीत ये 4 भेद हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हेतविुचय – Hetuvicaya. Right contemplation or acceptance of religious path. धर्मध्यान के 10 भेदों मे अंतिम भेद। तर्क का अनुसरण करना और स्याद्वाद्व का आश्रय लेकर समीचीन मार्ग को ग्रहण करना अथवा उसका चिंतन करना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त त्याग प्रतिमा – Sachitta Tyaaga Pratimaa. The 5th model stage of spiritual development of lay follower related to the renunciation of raw vegetation (without making pieces of it) etc. श्रावक की 11 प्रतिमाओं में 5वीं प्रतिमा; कच्चे फल-फूल , बीज, पत्ते, आदि नही खाना, इन्हें छिन्न-भिन्न करके, लवण आदि मिलाकर या गरम आदि…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हेत्वाभास – Hetvaabhaasa. Fallacy, a false cause. जो हेतु संदेष हंे हव हेत्वाभास हंे इपके अमसंद्व, वरिुद्व, अनैकांतिक, अकिंचित्कर 4 भेद है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लक्षण निमित्तज्ञान – अश्टांग निमित ज्ञान का छठा अंग, षारिरिक चिन्ह देखकर मनुश्य के ऐष्वर्य व दरिद्री आदि का ज्ञान होना। Laksana Nimittajnana-A type of knowledge gained through different marks of the body
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हृदय कमल – Hrdaya kamala. Heart, the place of meditation. ध्यान के आश्रयभूत 10 स्थानों मे एक स्थान। पदस्थ ध्यान मे उस बीजाक्षर की स्थापना हृदयकम मे की जाती है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परमात्म भावना:See – Parama Advaita.देखें – परम अद्वैत ।