उच्चार!
उच्चार Pronunciation, Excretion. वचनों का उच्चारण विष्टा को उच्चार कहते है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
उच्चार Pronunciation, Excretion. वचनों का उच्चारण विष्टा को उच्चार कहते है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षोडशकारण भावना – Sodashakaarana Bhaavanaa. Sixteen spiritual reflections (sentiments causing to be Tirthankar(Jaina-Lord)). तीर्थंकर प्रकृति की कारणभूत दर्शनविशुद्धि आदि 16 भावनाएं ” दर्शन विशुद्धि, विनय संपन्नता, शीलव्रतों में अनतिचार (शीलव्रतेष्वनतिचार), अभीक्ष्णज्ञानोपयोग, संवेग, शक्तिस्ततप, शक्तितस्त्याग, साधु समाधि, वैयावृत्यकरण, अर्हंत भक्ति, आचार्यभक्ति, बहुश्रुत भक्ति, प्रवचन भक्ति, आवश्यक अपरिहाणि, मार्ग प्रभावना एवं प्रवचन वत्सलत्व “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रियदर्शा- महोराग जाती के व्यन्तारो का 10 वा भेद A type of peripatetic deities
उच्चार प्रस्रवण समिति Excreting at purified place (with lacking of beings). निर्जंतुक स्थान पर मलमूत्र विसर्जन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्दर्शन – Saddarshana. Six particular kinds of philosophies (Bauddha, Naiyayik, Sankhya, Jaina, Vaisheshik & Jaminiy). 6 दर्शन – बौद्ध, नैययिक, सांख्य, जैन, वैशेषिक तथा जैमिनीय “
आवली उच्छिष्ट Small fragment of time unit. उच्छिष्टावली सत्व के घटते हुए जो आवली मात्र स्थिति अवशिष्ट रह जाती है उसका नाम उच्छिष्टावली है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्खंड – Satkhanda. Six parts of Bharat Kshetra (region). जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र आदि के एक आर्य व 5 म्लेच्छ खंड ” इन्ही षट् खंडो को चक्रवर्ती जीतता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधन नामकर्म प्रकृति-शरीर नाम कर्म के उदय से प्राप्त हुए पुद्गलों का अन्योन्य प्रदेश संश्लेष जिसके निमित्त से होता है।इसके अभाव से शरीर लकडि़यों के ढेर जैसा हो जाता है। Bandhana Namakarna Prakrti- physique making karmic nature related to bonding
श्वेताम्बर – Shvetaambara. A Jaina sect originated from the division of Moolsangh (Digambar). दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान महावीर के पश्चात् मूलसंघ दिगम्बर ही था ” बाद में (आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व) उत्तर भारत में दुर्भिक्ष अकाल पड़ने के कारण कुछ शिथिलाचारी साधुओ ने स्वेताम्बर संघ की स्थापना की “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोता – Shrotaa. Listeners. धर्म को सुनने वाले पुरुष ” गुण-दोषों की अपेक्षा इनके 14 भेद हैं “