विपर्यय मिथ्यात्व!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपर्यय मिथ्यात्व – Viparyaya Mithyatva. Wrong belief, wrong religious conceptions. सग्रंथ को निर्ग्रन्थ मानना, केवली को कवलाहारी मानना और स्त्री को मोक्ष होता है इत्यादि मानना विपर्यय है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपर्यय मिथ्यात्व – Viparyaya Mithyatva. Wrong belief, wrong religious conceptions. सग्रंथ को निर्ग्रन्थ मानना, केवली को कवलाहारी मानना और स्त्री को मोक्ष होता है इत्यादि मानना विपर्यय है “
दिगम्बर मुनि (साधु) Digambar saints, free from all worldly attachments. नग्न वसत्र आभूषण आदि समस्त परिग्रह रहित साधु जो इन्द्रिय विजयी 28 मूल गुणधारी होते हैं एवं जीवदया पालन हेतु मोर पंख की पिच्छी व शरीर शुद्धि हेतु जल के लिए काष्ठ का कमंडलु रखते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] युक्तानंत – अनन्त के तीन भेदो में एक भेद, इसके उत्तम, मध्यम जघन्य तीन भेद है। Yuktanamta-A type of infinite counting
आमर्षोषध A supernatural power of medication. जिन ऋद्धि के प्रभाव से साधु के स्पर्श मात्र से जीव निरोगी हो जाते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यतिधर्म–Yatidharm. Observances of ascetic life. मुनिधर्म; आरम्भ परिग्रह का त्यागकर 5 महाव्रत 5 समिति 3 गुप्तियों का पालन करना”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] याचनी भाशा – अनुभय भाशा का एक भेद, इस तरह के प्रार्थना पूर्ण वचनों को कहना। Yacani Bhasa- Requesting language (pertaining to some material)
तृष्णा – वशीकरण Overpowering on all hopes and desires. स्वयं आशाओं का दास न बनते हुए आशाओं को अपना दासी बना लेना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तूष्णीक Devil; a type of peripatetic deities. पिशाच जातीय व्यंतर देवों का एक भेद। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दिवाकरनंदि Disciple of Chandrakirti and spiritual teacher of Shubhchandra. ई. 1068-1098 में चन्द्रकीर्ति के शिष्य तथा शुभचन्द्र के गुरू थे। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीनंदन – Shreenandana. The father of Saptrishi (particularly 7 saints). श्रीमन्यु आदि सप्तऋषियों के पिता ” प्रीतिंकर मुनि के केवलज्ञान के समय एक मास के पौत्र को राज्य देकर सातों पुत्रों सहित दीक्षा ग्रहण की, अंत में मुक्ति प्राप्त की “