आभ्यन्तर उपकरण!
आभ्यन्तर उपकरण Internal body parts (protecting the objective senses). द्रव्येन्द्रिय की रक्षा करने वाला भीतरी अंग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आभ्यन्तर उपकरण Internal body parts (protecting the objective senses). द्रव्येन्द्रिय की रक्षा करने वाला भीतरी अंग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्गुण हानि वृद्धि – Sadguna Haani Vrddhi. Finite or infinite increase and decrease (related to indivisible particles etc.) अनंत भागवृद्धि, असंख्यात भाग वृद्धि, संख्यात भाग वृद्धि, संख्यात गुण वृद्धि, असंख्यात गुणवृद्धि, अनंत गुण वृद्धि ” अनंत भाग हानि, असंख्यात भाग हानि, संख्यात भाग हानि, संख्यात गुण हानि, असंख्यात गुण हानि, अनंत गुण हानि “
त्रसनाली Channel of the mobile bios. लोक के मध्य भाग में एक राजू लम्बी , चैड़ी और कुछ कम 13 राजू ऊंची त्रसनाली है । त्रसजीव इसके भीतर ही रहते हैं बहतर नहीं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्काय – Satkaaya. Six kinds of body forms of living beings. त्रस तथा पृथिव, जल, वायु, अग्नि और वनास्पतिकाय के जीव “
गौरी Ruling female demigod of Lord Vasupujya, A super knowledge, Name of a city in the north of Vijayardh mountain. भगवान् वासुपूज्य की शासन देवी, एक विद्या , विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक देश ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रेयांससागर – Shreyaansasaagara. Name of a great Acharya in the disciple tradition of Acharya Shree Shantisagarji Maharaj. 20वीं सदी के प्रथम आचार्य चारित्रचक्रवर्ती श्री शान्तिसागर जी महाराज की परम्परा में हुए पंचम पट्टाचार्य ” इनकी प्रेरणा से मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र पर 24 तीर्थंकर प्रतिमाओं का नूतन जिनमंदिर निर्मित किया गया है ” ये एक महान…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतवीर – Shrutaveera. Name of a Bhattarak of Sen group. सेनसंघ या वृषभ संघ की पट्टावलि के एक भट्टारक “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीष – Shreesa. The initiation & omniscience tree of Lord Suparshvanaath. तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ का दीक्षा एवं केवलज्ञान वृक्ष ” अपरनाम शिरीष वृक्ष “