प्रत्याख्यानावरण कशाय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्याख्यानावरण कशाय- pratyakhyanavarana kasaya Passions obscuring or causing destruction of complete right conduct. जो कशाय सकल चारित्र का घात करे, इसके क्रोध आदि भेद है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्याख्यानावरण कशाय- pratyakhyanavarana kasaya Passions obscuring or causing destruction of complete right conduct. जो कशाय सकल चारित्र का घात करे, इसके क्रोध आदि भेद है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथातथानुपूर्वी–Yathatathanupurvi. See – Yatrattranupurvi. देखें –यत्रतत्रानुपूर्वी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्तर – Sanstara. Bed, Dry grass bed. शय्या ” दिगम्बर जैन साधुओं का संस्तर तृण, चटाई आदि का होता है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == ध्यान : == मोक्ष: कर्मक्षयादेव, स चात्मज्ञानतो भवेत्। ध्यानसाध्यं मतं तच्च, तद्ध्यानं हिममात्मन:।। —योगशास्त्र : ४-११३ कर्म के क्षय से मोक्ष होता है, आत्मज्ञान से कर्म का क्षय होता है और ध्यान से आत्मज्ञान से कर्म का क्षय होता है और ध्यान से आत्मज्ञान प्राप्त होता है। अत: ध्यान…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्संग : == धुनोति दवयुं स्वान्तात्तनोत्यानंदथुं परम्। धिनोति च मनोवृत्तिमहो साधु—समागम:।। —आदिपुराण : ९-१६० साधु पुरुष का समागम मन से संताप को दूर करता है, आनन्द की वृद्धि करता है और चित्तवृत्ति को संतोष देता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसंवेद्य सुख – Svsammvedya Sukha. Spiritual bliss. अतीन्द्रिय या आत्मिक सुख। निर्विकल्प ध्यान मे स्थित परम योेगियो के रागदि के अभाव से उत्पन्न स्वसंवेद्य आत्मिक सुख है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषम द्रष्टांत – Vishama Drstamta. An odd example of an event. जो दार्ष्टान्तिक के सदृश न हो उसे विषम द्रष्टांत कहते हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यतिपूजा–Yatipuja. Eulogical devotion for saints. शुभ परिणामों से गुरु की पूजन करना”
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्णकूला देवी – Svarnakuulaa Devi. Name of the governing deity of Svarnakuulaa Kund (a pond). स्वर्णकूला कुण्ड की स्वामिनी देवी।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्यमित्र – Satyamitra. Name of the 41st chief disciple of Lord Risabhdev. भगवान ऋषभदेव के 41वें गणधर “