स्निग्ध!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्ध – Snigdha. Greasy, oily, lubricous.चिकना या चिक्कणपना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्ध – Snigdha. Greasy, oily, lubricous.चिकना या चिक्कणपना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रात्रियोग – साधुओं का एक कृति कर्म। सायंकालीन प्रतिक्रमण के पष्चात योग भक्तिपूर्वक जैन साधु रात्रियोग धारण करते है।प्रात कालीन सामायिक से पूर्व योग भक्तिपूर्वक ही उसका निश्ठापान करते हैं। Ratriyoga-Meditation activities to be observed by saints during night hours (an austerity)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संज्वलन चतुष्क – Sanjvalana Chatushka. The quartet of slights passion i.e. anger, proud, illusion, greed. संज्वलन क्रोध मान माया लोभरूप चतुष्क जिसके सद् भाव में भी संयम ज्वलित अर्थात चमकता रहता है अथवा समीचीन निर्मल यथाख्यात चरित्र का जो ज्वलन-दहन करता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थूल चोरी – Sthuula Cori. Stealing to take something without permission.किसी की रखी हुई, भूली हुई या गिरी हुई वस्तु को लेना स्थूल चोरी है, श्रावक इसका त्यागी होता है।
चक्षु इन्द्रिय Visual sense organ, sense of sight, ocular sense. आँखें, जिसके द्वारा संसारी जीव पदार्थों को देखता है उसे चक्षु इन्द्रिय कहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शिक्षा :== विपत्तिरविनीतस्य, संपत्तिर्विनीतस्य च। यस्यैतद् द्विधा ज्ञातं, शिक्षां स: अधिगच्छति।। —समणसुत्त : १७० अविनयी के ज्ञान आदि गुण नष्ट हो जाते हैं, यह उनकी विपत्ति है और विनयी को ज्ञान आदि गुणों की सम्प्राप्ति होती है (यह उसकी सम्पत्ति है)। इन दोनों बातों को जानने वाला ही…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति बंध स्थान – Sthiti Bamdha Sthaana. Position of thoughts causing karmic binding.जिन परिणामो के द्वारा स्थितियाॅ बांधी जाती है उन परिणामो का नाम स्थिति बंध है, उनके स्थानो को (अवस्था विेषेषो को) स्थिति बन्ध स्थान कहते है।
त्रिलोकसार A book of Karnanuyog written by Acharya Nemichandra Siddhant Chakravarti. आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती द्वारा ई.श.11 पूर्व में रचित करणानुयोग से संबंधित लोकविभाग विषय पर प्राकृत ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृत्यु आशंका –Mratyu Aashanka. To wish for early death to severe pain (an infraction of holy death of a saint). मरणाशंसा– यह सल्लेखनाव्रत का दूसरा अतिचार है” पीड़ा से व्याकुल होकर शीघ्र मरने की इच्छा करना”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थापना सत्य – Sthaapanaa Satya. Ritual installation of lord arihant in artifical in artifical idols.जो अर्हन्त आदि पंच परमेष्ठी की पाषाण या धातु आदि की प्रतिमा मे स्थापना की जाती है वह स्थापना सत्य है।