मूलस्थान प्रायश्चित!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलस्थान प्रायश्चित–Mulasthan Prayshchit. A repentance of a saint caused due to indiscipline activities. अपरिमित दोष या स्वछंद होकर कुमार्ग में प्रवृत्ति करने वाले साधु को दिए जाने वाला प्रायश्चित”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलस्थान प्रायश्चित–Mulasthan Prayshchit. A repentance of a saint caused due to indiscipline activities. अपरिमित दोष या स्वछंद होकर कुमार्ग में प्रवृत्ति करने वाले साधु को दिए जाने वाला प्रायश्चित”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विकलेन्द्रिय- Vikalendriya.: Two-sensed, three-sensed or four-sensed beings (deficient-sensed). दो इन्द्रिय ,तीन इन्द्रिय और चार इन्द्रिय जीवों को विकलेन्द्रिय या विकलत्रय कहते हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पक्वाशय: An inner organ of body, abdomen or belly औदारिक शरीर का एक अंग, आमाष और पक्वाषय में 16 आंते रहती है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूक दोष–Muuk Dosh. A fault committed while paying reverence to Lord. वंदना के 32 दोषों में एक दोष; मन–मन में पढना ताकि दूसरा न सुने अतवा अथवा वंदना करते करते बीच–बीच में इशारे करना”
गुणनिमित्तक ज्ञान Clairvoyance originated due to the subsidence & destruction of Karmas. गुणप्रत्यय अवधिज्ञान;जो अवधिज्ञान क्षयोपशाम , व्रत ,नियम आदि के कारण होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशमभाव-पंचेन्द्रियों के विषयों में शिथिल मन का होना ही प्रशम भाव कहलाता है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकीर्णक देव – Prakirnaka Deva. A type of deites (as common citizens). देवों के दश भेदों में से एक; जो देव प्रजा के समान होते हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोजनदान:food donation. साधु आदि को भोजन का दान करना, निर्धन को अन्न आदि दान करना “
त्रिगुणसार व्रत A country of Bharat kshetra in middle Arya Khand (region). क्रमशः 1,1,2,3,4,5,4,4,3,2,1 इस प्रकार 30 उपवास करना व णमोकार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]