खलीनित!
खलीनित An infraction in the meditative relaxation. कायोत्सर्ग का एक अतिचार; लगाम से पीड़ित घोड़ेवत् मुख को हिलाते हुए खड़े होना । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
खलीनित An infraction in the meditative relaxation. कायोत्सर्ग का एक अतिचार; लगाम से पीड़ित घोड़ेवत् मुख को हिलाते हुए खड़े होना । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भास्वती – Bhasvati. A Vapi (like large lake) in Amra forest of Samavsharana, assembly of Jaina Lord. समवसरण के आम्र वन की एक वापी “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथिवीकायिक जीव – Prthivikayika Jiva. Earth bodied creature; soul which lives in an earth body. जिस जीव के पृथिवी रूप काय विधमान है उसे पृथिवीकायिक जीव कहते हैं ” जैंसे –पत्थर आदि की खान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिविपला – Prativipalaa. A time unit. काल का एक प्रमाण विशेष ” 60 प्रतिविपलांश = 1 प्रतिविपला “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == धर्मास्तिकाय : == धर्मास्तिकायोऽरतो—ऽवर्णगन्धोऽशब्दोऽस्पर्श:। लोकावगाढ: स्पृष्ट:, पृथुलोऽसंख्यातिकप्रदेश:।। —समणसुत्त : ६३१ धर्मास्तिकाय रसरहित है, रूपरहित है, गंधरहित है और शब्दरहित है। समस्त लोकाकाश में व्याप्त है, अखण्ड है और विशाल है तथा असंख्यातप्रदेशी है। उदकम् यथा मत्स्यानां, गमनानुनुग्रहकरं भवति लोके। तथा जीवपुद्गलानां, धर्मद्रव्यं विजानीहि। —समणसुत्त : ६३२ जैसे इस…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतियोगी – Pratiyogi Counter part, competitor, An opponent. विरोधी, साथी, बराबर वाला “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संव्यवहरण दोष – Sanvyavaharana Dosha. A fault related to saint food, careless activities in offering food to saint. श्रावक के निमित्त से होने वाला जैन साधुओं के आहार का एक दोष ” साधु को आहार देने के लिए बर्तन आदि को शीघ्रता से बिना देखे उठाना संव्यवहरण दोष है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भैक्ष्यशुद्धि:Purity in procedural food taking. अचौर्य व्रत की एक भावना; शास्त्त्रोक्त विधि से शुद्ध भोजन ग्रहण करना “
उत्पत्ति Origination, Birth. जीवों की उत्पत्ति अर्थात् जन्म लेना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिबोध – Pratibodha. Awaking knowledge; discernment, vigil. जागरण, जानकारी या ज्ञान, सम्यग्दर्शन-ज्ञान, व्रत और शील गुणों को उज्जवल करने, मॉल को धोने अथवा जलाने का नाम प्रतिबोध है “