बाह्य वर्गंणा!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य वर्गंणा – Bahya Vargana. A type of aggregates of Karmic molecules. तेईस वर्गणाऔ में से पाँच शरीर प्रथग्भूत हैं इसलिए इन्हें बाह्य वर्गणा कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य वर्गंणा – Bahya Vargana. A type of aggregates of Karmic molecules. तेईस वर्गणाऔ में से पाँच शरीर प्रथग्भूत हैं इसलिए इन्हें बाह्य वर्गणा कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावनिर्वीचकित्सा – Bhavanirvichikitsa. Volitions free from anguishment or any afflict-tion, volition of non- disgust. क्षुधादि १२ परीषहों में संक्लेश परिणाम न करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचनप्राण – Vachanprana.: Power of speech. जीव के 10 प्राणों में से एक प्राण; जीव की वचन व्यापर में कारणभूत योग्यता या शक्ति “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वक्रता : == सो सद्दो तं धवलत्तणं च रयणायरम्मि उप्पत्ती। संखस्स हिययकुडिलत्तणेण सव्वं पि पब्भट्ठं।। —गाहारयणकोष : ११३ वही शब्द (ध्वनि), वही शुभ्र ताप और रत्नाकर में उत्पत्ति। यह सब कुछ होते हुए भी शंख अपने हृदय की वक्रता के कारण सर्वत्र भ्रष्ट होता है। व्यक्ति घर, धन,…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति बन्धापसरण – Prakrti Bandhapasarana. Sequential reduction in karmic bindings. प्रकतिबंध का क्रम से घटना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वक्षार – Vakshaara: Particular 16 mountains in Videh Kshetra (region). विदेह के 32 क्षेत्रों को विभाजित करने वाले अनादिनिधन 16 पर्वत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्क्रांति क्रिया –Nishkraanti Kriyaa. An auspicious and sacred act (related to initiation). गर्भान्वय की 53 क्रियाओं में एक क्रिया; दीक्षा कल्याणक की क्रियाएं, वैराग्य पूर्वक राज्य को त्यागना इत्यादि क्रियाओं के साथ दिगम्बर व्रत को धारण कर केशलोच आदि करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोवंदना- Manovandana. Eulogical contemplation of the virtues of spiritual teachers. वंदना करने योग्य गुरुओं आदि के गुणों का स्मरण करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वंदना मुद्रा –Vandanaa Mudraa : Standing posture of paying reverence by raised & folded hands with joined palms. मुद्रा के 4 भेदों में एक भेद ;खड़े होकर दोनों कुहनियों को पेट के ऊपर रखना और दोनों हाथों को मुकुलित कमल के आकार में बनाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्कंप – Nishkampa. Name of a king of Yadu dynasty. यदु वंश का एक राजा” समुद्रविजय के भाई विजय का पुत्र “