पब्भार!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पब्भार:An educational institution शिक्षागृह।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == तपस्वी : == नाऽपि तुण्डितेन श्रमण:, न ओंकारेण ब्राह्मण:। न मुनिररण्यवासेन, कुशचीरेण न तापस:।। —समणसुत्त : ३४१ केवल सिर मुंडाने से कोई श्रमण नहीं होता, ओम् का जप करने से कोई ब्राह्मण नहीं होता, अरण्य में रहने से कोई मुनि नहीं होता, कुश—चीवर धारण करने से कोई तपस्वी…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्त्रनाम स्तव – Sahasranaama Stava. Name of an eulogical treatise written by Pandit Ashodhar. प0 आशाधर (ई0 1173-1243) द्वारा रचित संस्कृत छंदबद्ध ग्रंथ जिसमें 1008 नामों द्वारा भगवान का स्तवन किया गया है। इस पर आचार्य श्रुतसागर (ई0 1473-1533) ने टीका लिखी है ।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == क्रोध : == पासम्मि बहिणिमायं, सिसुं पि हणेइ कोहंधो। —वसुनन्दि श्रावकाचार : ६७ क्रोध में अंधा हुआ मनुष्य पास में खड़ी माँ, बहिन और बच्चे को भी मारने लग जाता है। कोवेण रक्खसो वा, णराण भीमो णरो हवदि। —भगवती आराधना : १३६१ क्रुद्ध मनुष्य राक्षस की तरह भयंकर…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहभू – Sahabhoo. Co-existing one. सहभावी, न्वयी, गुण, सहभू तथा अर्थ ये सब षब्द अर्थ की दृष्टि से एकार्थक होने के कारण एकार्थवाचक है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पद्मसिंह: A saint who wrote the bgook Gyansara. ध्यानविषयक ज्ञानसार ग्रन्थ के रचयिता एक मुनि (ई0 1029)।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यक्ष–Yaksha. A type of peripatetic deities, Demigod. व्यंतर देवों के 8 भेदों में एक भेद; समवसरण में एवं अकृत्रिम जिन प्रतिमा को यक्ष देव 64 चमर ढोरते है” 24 वर्तमान तीर्थंकर भगवंतो के 24 शासन यक्ष क्रमक्ष: इस प्रकार है – 1. गोमुख देव 2.महायक्ष देव 3. त्रिमुख देव 4. यक्षेश्वर देव 5….
नवधाभक्ति- मुनिराज का पडगाहन करना,उन्हें उच्चस्थान पर विराजमान करना, उनके चरण धोना, उनकी पूजा करना, उन्हें नमस्कार करना, अपने मन-वचन काय की शुद्धि और आहार की विशुद्धि रखना, इस प्रकार दान देने वाले के यह नौ प्रकार का पुण्य अथवा नवधाभक्ति कहलाती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मरागमयी: One of the six circumferences of Sumeru mountain. सुमेरू पर्वत की 6 परिधियों में एक परिधि ।