भाव स्पर्श!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव स्पर्श – Bhava Sparsa. Sensible touch for any knowledgeable matter. निक्षेप रूप एक भेद; जो स्पर्श प्राभृत का ज्ञाता उसमें उपयुक्त है वह सब भाव स्पर्श है \
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव स्पर्श – Bhava Sparsa. Sensible touch for any knowledgeable matter. निक्षेप रूप एक भेद; जो स्पर्श प्राभृत का ज्ञाता उसमें उपयुक्त है वह सब भाव स्पर्श है \
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्माहार – Nokarmaahaara. See – Nokarma Aahaara. देखें – नोकर्म आहार “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतवन – Bhutavana. Name of a forest whers Shreepal announced himself to be Chakravarti (emperor). एक वन, जहाँ श्रीपाल ने ७ शिलाखण्डों को एक के ऊपर एक रखकर स्वयं चक्रवर्ती होने की सूचना दी थी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वत्सावती –Vatsaavatii: A region of eastern Videh Kshetra (region), Name of a summit of Vaishravan Vakshar (mountain) in eastern Videh kshetra (region) & its female divinity. पूर्व विदेह का एक क्षेत्र ,पूर्व विदेह के वैश्रवण वक्षार का एक कूट व उसकी स्वामिनी देवी “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भगवान् – Bhagavan. Supreme one, Lord, one with omnipotence & omniscience. जो सर्वशक्तिमान एंव केवल ज्ञान से सहित है वह भगवान है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्र –ऋषभनाराच संहनन – Vajra-Rishabhnaaraacha sanhanana. An osseous structure, a type of bone joints (Karmas making body very strong). 6 संहनन में प्रथम संहनन ,जिस कर्म के उदय से शरीर में वज्र के समान नसों का जाल , कीलों व हड्डियां होती है ” तीर्थंकर आदि तदभव मोक्षगामी जीवों के यह संहनन होता है…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नैमिष – Naimisha. A city in thr north of Vijayrdh mountain. विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रनाराचसंहनन – Vajranaaraachasanhanana. An osseous structure . 6 सहननों में दूसरा संहनन , जिसमें वज्रमय हड्डियों दोनों ओर वज्रमय नाराच अर्थात कील से जुडी होती हैं ” यह नामकर्म की एक प्रकृति है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिनाथ बसंत – Neminaath Basanta. Name of a book. बूचिराज (ई.शु.16) कृत नेमिनाथ भगवान के वैराग्य विषयक एक काव्य कृति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीतोष्ण – Sheetoshna. A kind of female genital organ (having to do with cold and hot). योनि के 9 भेदों में एक भेद; जो योनि शीत एवं उष्ण दोनों स्पर्श रूप होती है “