श्राविका!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्राविका – Shraavikaa. A female lay follower of Jaina instructions. जो गृहस्थ महिला श्रद्धावान, विवेकवान व सदाचारी हो एवं धर्म का अनुसरण करती हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्राविका – Shraavikaa. A female lay follower of Jaina instructions. जो गृहस्थ महिला श्रद्धावान, विवेकवान व सदाचारी हो एवं धर्म का अनुसरण करती हो “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पति :Husband, the male life partner. यज्ञ, पूजा, प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्यो के साथ स्त्री का विववाह जिसके साथ हुआ हो ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेषनय – Vishesha Naya. A particular standpoint believing that the soul is non-extricated. अव्यापकता रूप कथन करने वाला नय ” जैसे – आत्मद्रव्य एक मोती की भांति अव्यांपक है, सदा से रहने वाले नर – नारकादि जीव का बोधन करना विशेष नय हैं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वीतराग : == यत्सुखं वीतरागस्य मुने: प्रशमपूर्वकम्। न तस्यानन्तभागोऽपि प्राप्यते त्रिदशेश्वरै:।। —ज्ञानार्णव : १९-३ वीतराग मुनि को प्रशम भाव सहित जो सुख प्राप्त होता है, उसका अनन्तवां भाग भी देवेन्द्रों को प्राप्त नहीं होता (अर्थात् इन्द्र के प्राप्त होने वाले सुख से अनंतगुना—अक्षय सुख वीतराग मुनि को प्राप्त…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == क्षणभंगुरता : == जन्म मरणेन समं, सम्पद्यते यौवनं जरासहितम्। लक्ष्मी: विनाशसहिता, इति सर्व भंगुरं जानीत।। —समणसुत्त : ५०७ जन्म मरण के साथ जुड़ा है और यौवन वृद्धावस्था के साथ। लक्ष्मी चंचला है। इस प्रकार (संसार में) सब कुछ क्षणभंगुर है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रद्धान प्रायश्चित – Shraddhaana Praayashchita. Repentance over false belief with acceptance of right belief. मिथ्यात्व को प्राप्त होकर स्थित हुए जीव के महाव्रतों को स्वीकार कर आप्त, आगम और पदार्थों का श्रद्धान करने पर श्रद्धान नाम का प्रायश्चित होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक शरीर नामकर्म प्रकृति –VaikriyikaSariraNamakarnnaPrakrti. A physique making Karmic nature of the formation of transformable body of deities & hellish beinghs. नामकर्म, जिसके उदय से विकार करने योग्य या बदलने योग्य देव या नारकियों का शरीर प्राप्त हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवेश मण्डप- प्रवेष द्वार। Pravesa mandapa- Entrance, vestibules porch