आपेक्षिक!
आपेक्षिक Comparable, relative. अपेक्षाकृत तुलनात्मक।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पर रूप:Alien nature.अपने स्वभाव को छोडकर विभाव रूप परिणमन होना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रहत्कथासरितसागर – Brhatkathasaritasagara. A book written by Acharya Somdeva . आचार्य सोमदेव (ई. श. १९ मध्य ) द्वारा रचित एक कथाकोष “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == विषय : == खेलम्मि पडिअमप्पं जह न तरइ मच्छिआवि मोएऊं। तह विसयखेलपडिअं न तरइ, अप्पंपि कामंधो।। —इन्द्रियपराजय शतक : ४६ जिस तरह श्लेष्म में पड़ी हुई मक्खी श्लेष्म से बाहर निकलने में असमर्थ होती है, वैसे ही विषयरूपी श्लेष्म में पड़ा हुआ व्यक्ति अपने आपको विषय से अलग…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक षटक –VaikriyikaSarka A type of hexa pertaining to transformable body (of deities & hellish beings). वैक्रियिक शरीर व वैक्रियिक अंगोपांग, नरक गति व नरक गत्यानुपूर्वी, देवगति व देवगत्यानुपूर्वी “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == दान : == जह उसरम्मि खित्ते पइण्णवीयं ण िंक पि रुहेइ। फलवज्जियं वियाणह, अपत्तदिण्णं तहा दाणं।। —वसुनन्दि श्रावकाचार : २४२ जिस प्रकार ऊसर खेत में बोया गया बीज कुछ भी नहीं उगाता है, उसी प्रकार अपात्र में दिया गया दान भी फलरहित—सा है। साहूणं कप्पणिज्जं, जं न वि दिण्णं…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == चरित्त : == चारित्तं समभावो —पंचास्तिकाय : १०७ समभाव ही चारित्र है। असुहादो विणिवित्ती, सुहे पवित्ती य जाण चारित्तं। —द्रवसंग्रह : ४५ अशुभ से निवृत्ति और शुभ में प्रवृत्ति करना—इसे ही चारित्र समझना चाहिए। थोवम्मि सिक्खिदे जिणइ, बहुसुदं जो चरित्तसंपुण्णो। जो पुण चरित्तहीणो, िंक तस्स सुदेण बहुएण।। —मूलाचार : १०-६…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साधु संघ – Saadhu Sangha. Group of Jaina saints (with Muni, Aryika, Shravak & Shravika). चक्षुःसंघ; मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका ।
ऋक्षवान Name of a mountain of Bharat Kshetra ( a region). भारत क्षेत्र के एक पर्वत का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]