देवसमिति!
देवसमिति A Patal (layer) of 3rd heaven. तीसरे स्वर्ग युगल ‘ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर युगल’ का एक पटल।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवसमिति A Patal (layer) of 3rd heaven. तीसरे स्वर्ग युगल ‘ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर युगल’ का एक पटल।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रक्तनिभ – 88 ग्रहो मे 15 वे ग्रह का नाम। Raktanibha-Name of the 15th planet out of 88
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हरण – Harana. Seizing, carrying off, name of a river of Bharat Kshetra (region). छीनना, भरत क्षेत्र की एक नदी।
देशजिन The Jaina saints possessing high spiritual knowledge. आचार्य, उपाध्याय, साधु देशजिन कहलाते हैं क्योंकि सकलजिनों के समान देशजिन में भी तीन रतन पाये जाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हंससम श्रोता – Hammsasama Srotaa. The right listeners, accepting meaningful thoughts. श्रोता के 14 भेदो मे एक भेद। जो केवल सार वस्तु को ग्रहण करते है, वे हंस के समान श्रोता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर निंदा:Defamation of others; slander, Censuring others.नीच गोत्र के आस्त्रव का कारण, दूसरों की बुराई करना ।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वार्थनुमान – Svaarthaanumaana. Subjective inference (caused by perception of some means). अनुमान के दो भेदो मे एक भेद। परोपदेष के अभाव मे भी केवल साधन से साध्य को जानकर जो ज्ञान देखने वाले को उत्पन्न हो जाता है उसे स्वार्थनुमान कहते है। जैसे धुएॅ को देखकर अग्नि का अनुमान लगा लेना।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाधीन – Svaadhiina. Self dependent. स्वतंत्र, आत्माधीनं। सिद्वो का सुख संसार के विषयो से अतीत स्वाधीन अव्यय होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजवातिैक – आचार्य अकलंक देव द्वारा तत्वार्थसूत्र गं्रथ पर की गई विस्तृत संस्कृत वृत्ति। Rajavartika-name of a treatise written by Acharya Akalank dev
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक सुख – Saansaarika Sukha. Worldly sensual pleasures. लौकिक या इन्द्रियजन्य सुख। यह सारा इन्द्रिय विषयक माना जाता है इसलिए यह केवल सुखाभास ही नही, किन्तु निःसंदेह दुखरुप ही हैं।