प्रमदा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमदा- प्रमाद की बहुलवा से स्त्रियों को प्रमदा कहते हैं, समवषरण की नाट्यषाला। Pramada- Lustful women, Name of a stage of drama in Samavasharan- assembly of Lord
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमदा- प्रमाद की बहुलवा से स्त्रियों को प्रमदा कहते हैं, समवषरण की नाट्यषाला। Pramada- Lustful women, Name of a stage of drama in Samavasharan- assembly of Lord
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभावना- सम्यग्दर्षन ज्ञान चारित्र रुप रत्नत्रय के प्रभाव से आत्मा को प्रकाषमान करना। ज्ञान,ध्यान, तप, दया, दान, जिन पूजा आदि के द्वारा जिनधर्म की महिमा को प्रकाषित करना। Prabhavana – Glorification, Promotion (influencing pertaining to religion)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रनाम विधान – Sahasranaama Vidhanaa. A composition of worshipping hymn composed by Ganini Aryika Shri Gyanmati Mataji. श्री जिनसेनाचार्य द्वारा रचित सहस्रनाम स्तोत्र के आधर पर गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा सन 1954 में रचे गये 1008 मंत्रों के अर्थ को छन्दों में निबद्ध करके रचित 1008 अध्र्यो वाला विधान ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजसेना – राजा की सेना इसकी 18 श्रेणिया होती है। Rajasena- The army of a king
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहभोजन – Sahabhojana. Taking food togetherly. एक साथ भोजन करना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजसूय – चक्रवर्ती सागर के समय मे प्रचलित राजाओं के द्धारा किया जाने वाला एक अनार्थ यज्ञ। महाकाल असुर के द्वारा हिंसा की प्रेरणा देने के लिए ये चलाया गया था। Rajasuya-Name of a violenceful yagya (sacrificial fire) prevalent at the time of Chakravarti sagar
तीर्थंकर- संसार से पार होने के कारण को तीर्थ कहते हैं। उसके समान होने से आगम को तीर्थ कहते है, उस आगम के कर्ता तीर्थंकर है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्ध्यप्र्याप्तक – अपर्याप्तक नाम कर्म के उदय से जो जीव अपने योग्य पर्याप्तियों को पूर्ण किए बिना ही ष्वास के 18 वें भाग में मरण को प्राप्त हो जाता है अर्थात जिसके एक भी पर्याप्ति पूर्ण नही होती उसे लब्ध्यप्र्याप्तक कहते हैैं। Labdhyaparyaptaka-Absolutely, non development beings (Having very short life)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रादोषिक काल- जिसमें रात का भाग है वह प्रदोश काल है अर्थात् रात के पूर्वभाग के समीप दिन का पष्चिम भाग, वह सुबह-षाम दोनों कालों में प्रदोशकाल कहलाता है। Pradosikakala- The period of Dawn and dusk
उद्धारदेव Name of the 10th Tirthankar (Jaina-Lord) of past time. भूतकालीन चैबीसी के आठवें तीर्थंकर (उद्धारनाथ)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]