विमोह!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमोह – Vimoha. Confusion, bewilderment. परस्पर सापेक्ष द्रव्यार्थिक, पर्यायार्थिक नयों के अनुसार द्रव्य, गुण, पर्याय आदि को नहीं जान पाना विमोह कहलाता है ” अथवा शाक्य – बुध्द आदि द्वारा कथित वस्तु में निश्चय करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमोह – Vimoha. Confusion, bewilderment. परस्पर सापेक्ष द्रव्यार्थिक, पर्यायार्थिक नयों के अनुसार द्रव्य, गुण, पर्याय आदि को नहीं जान पाना विमोह कहलाता है ” अथवा शाक्य – बुध्द आदि द्वारा कथित वस्तु में निश्चय करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भगवती – Bhagavati. A type of super power, Other name of Jaina – initiation. बहुरुपविधायिनी एक विघा ” जिन दीक्षा को भी भगवती दीक्षा कहते हैं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सूक्ष्म कषाय : == कौसुम्भ: यथा राग:, अभ्यन्तरत: च सूक्ष्मरक्त: च। एवं सूक्ष्मसराग:, सूक्ष्मकषाय इति ज्ञातव्य:।। —समणसुत्त : ५५९ कुसुम्भ के हल्के रंग की तरह जिनके अन्तरंग में केवल सूक्ष्म राग शेष रह गया है, उन मुनियों को सूक्ष्म—सराग या सूक्ष्म—कषाय जानना चाहिए।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावकरण – Bhavakarana. Another name for Karan Labdhi (efficiency attainment). करणलब्धि का दूसंरा नाम ” यह पांचवी लब्धि है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नैमित्तिक व्युत्सर्ग – Naimittika Vyutsarga. Activities of occasional abandonments. नियतकाल व्युत्सर्ग (त्याग) का एक भेद; पर्व के दिनों में की जाने वाली क्रियाएं व निषद्या आदि क्रिया करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्य : == अकिंहतस्स वि जह गहवइणो जगविस्सुदो तेजो। —भगवती आराधना : ३६१ अपने तेज का बखान नहीं करते हुए भी सूर्य का तेज स्वत: जगविश्रुत है। सच्चं जसस्स मूलं, सच्चं विस्सासकारणं परमं। सच्चं सग्गद्दारं सच्चं, सिद्धीइ सोपाणं।। —धर्मसंग्रह टीका : २-२६ सत्य यश का मूल कारण है।…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रनाभि – Vajranaabhi Past-birth soul of Lord Rishabhdev & Lord Parshvnath, Past-birth name of Lord Vimalnath’s father, Name of a chief disciple of Lord Abhinandannath. भगवान ऋषभदेव के तीसरे तथा भगवान पार्श्वनाथ के चौथे पूर्वभव का जीव , तीर्थंकर विमलनाथ के पूर्वभव के पिता , भगवान अभिनन्दंननाथ के एक गणधर का नाम
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिनाथ बारहमासा – Neminaatha Baarahamaasaa. Name of a book. बूचिराज (ई.शु.16) कृत राजमति के उद्दगार विषयक एक काव्य कृति “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवन (देव विमान) – Bhavana (Dev Vimana). Palace – a signifying figure seen by mother of Jaina Lord among 16 dreams. तीर्थकरों के गर्भ में आने पर माता द्वारा देखे गये १६ स्वप्नों में १४ वें स्वप्न का चिन्ह “