निरनुबंधा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरनुबंधा – Niranubandhaa. Discontinuitity in the binding of new Karmas. नवीन कर्मबन्ध रहित अवस्था, अविपाकनिर्जराका एक भेद, सम्यग्दृष्टियोंकी अविपाक निर्जरा इच्छा निरोध होने के कारण निरनुबंधा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरनुबंधा – Niranubandhaa. Discontinuitity in the binding of new Karmas. नवीन कर्मबन्ध रहित अवस्था, अविपाकनिर्जराका एक भेद, सम्यग्दृष्टियोंकी अविपाक निर्जरा इच्छा निरोध होने के कारण निरनुबंधा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयत – Sanyata. One with control & restraints, Another name of Digambar Jaina saint. महाव्रती श्रमण संयत कहलाता है ” संयत जीव छठे से चौदहवें गुणस्थान तक 9 गुणस्थानों में पाये जाते हैं ” दिगम्बर मुनि का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुरालय – Suraalaya. Another name of Sumeru mountain. सुमेरू पर्वत का एक अपरनाम ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलाराधना–Mulaaradhana. The other name of the treatise ‘Bhagvati Aradhana’. भगवती आराधना ग्रंथ का अपरनाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संमूर्च्छन – Sammoorchchhana. Spontaneous birth (formation of body organs or limbs by surrounding matter). जो जीव स्त्री-पुरुष के संयोग के बिना ही वातावरण में बिखरे हुए परमाणुओं के योग से उत्पन्न होते हैं वे संमूर्च्छन कहलाते हैं ” सभी प्रकार के पेड़-पौधे, शेष एक इन्द्रिय तथा दो इन्द्रियादि कीड़े-मकोड़े आदि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमेरू – Sumeru. The chief mountain with gold shine of middle universe. मध्यलोक का सर्वप्रधान पर्वत । यह स्वर्ण वर्ण व कुटाकार है। जम्बूद्वीप के बीचोबीच में स्थित यह पर्वत 1 लाख 40 योजन ऊॅंचा है इसे सुदर्षनमेरू के नाम से जाना जाता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारितापिकी क्रिया – Paritapiki Kriya. Activity causing pain to self & others. साम्परायिक आस्त्रव की २५ क्रियाओं में एक क्रिया; जो क्रिया स्वयं व् दूसरे को दुख उत्पन्न करावे “
देवेन्द्रकीर्ति Name of Bhattaraks (of Nandisangh etc.) नन्दिसंघ सूरत शाखा के आद्य भट्टारक (ई. 1393-1442). कथाकोष आदि के रचयिता सांगानेर के भट्टारक (वि. 1640-1662)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकपंक्ति क्रिया – Lokapankti kriyaa.: Silly tradition of entertaining activities. अंतरात्मा के मलिन होने से मूर्ख लोग जो लोक को रंजायमान करने के लिये क्रिया करते हैं उसे लोकपंक्ति कहते हैं “