प्रयोज्यता!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोज्यता- प्रयोजन के वष, उपयोग में आने की योग्यता। Prayojyata –Applicability, aptness.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोज्यता- प्रयोजन के वष, उपयोग में आने की योग्यता। Prayojyata –Applicability, aptness.
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यक्षवर(सागर द्वीप)– Yakshvar (Saagar Dvip). Name of a island and ocean of middle universe. मध्यलोक के अंतिम सौलह द्वीपों में तेरेहवा द्वीप व समुंद्र”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमेयरत्नालंकार- आचार्य चारुकीर्ति (ई. 1544) कृत एक ग्रंथ। Prameyaratnalankara- A book written by acharyaCharukirti
गति बन्धाभाव Lack of binding of any Karmic nature related to any Gati for the next birth (i.e. lack of transmi-gration), Motion without constraint. आगे के भव के लिए चारों गतियों के बन्ध का अभाव होना ,गति का एक भेद ; एरण्ड बीज आदि की गति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक शरीर वर्गणा- 23 वर्गणाओं में एक वर्गणा; एक-एक जीव के एक-एक शरीर में उपचित (संचित) हुए कर्म-नोकर्मस्कंण्रुप वर्गणा। pratyeka sarira vargana – a type of aggregates of karmic molecules
तेंदु Name of an Indian tree, called initiation – tree of Lord Shreyansnath. श्रेयांसनाथ भगवान के दीखा वृक्ष का नाम (पदमपुराण के अनुसार) महापुराण के अनुसार यह तुम्बुरू वृक्ष है।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण सप्तभड्गी- प्रमाण में प्रत्येक धर्म की अपेक्षा सप्तमभंगी होती है; स्यात् अस्ति, स्यात् नास्ति, स्यात् अस्ति नास्ति स्यात् अवक्तव्य, स्यात् अस्ति अवक्तच्य, स्यात् नास्ति अवक्तव्य, स्यात् अस्ति नास्ति अवक्तव्य ये सप्तभंगी कहलाते है। PramanaSaptabhangi- Measure pertaining to seven combinations (Saptbhangi)
देववर(द्वीप, सागर) The 3rd island and ocean at the end of middle universe. मध्यलोक के अंत में तृतीय सागर व द्वीप।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण गणना (लौकिक, लोकोत्तर)- लौकिक और अलौकिक मान; अलौकिक गणित के मुख्य दो भेद है-संख्यामान और उपमामान। PramanaGanana (Laukika, Lokottara)- Mathematical measure (universal, post universal)